शनिवार को गिरिडीह के आरके महिला कॉलेज में एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला. यहां एक दुल्हन, सात फेरे लेने के कुछ ही समय बाद, अपने पति के साथ सीधे परीक्षा केंद्र पहुंची और दुल्हन के जोड़े में ही अपनी परीक्षा दी. यह दुल्हन थी बेंगाबाद थाना क्षेत्र के मोती लेदा गांव निवासी राजकुमार यादव की पुत्री पूजा कुमारी, जो बीए सेमेस्टर वन की छात्रा है. पूजा की शादी गिरिडीह के धरियाडीह निवासी विकास यादव से 9 मई को तय थी. लेकिन शादी के ठीक अगले दिन, यानी 10 मई को सुबह 10 बजे पूजा की परीक्षा भी थी. ऐसे में परिवार को यह चिंता सताने लगी कि शादी के ठीक अगले दिन पूजा परीक्षा कैसे दे पाएगी.
बारात 9 मई की रात को आई और पूजा की शादी की सारी रस्में रात से सुबह तक जल्दी-जल्दी पूरी की गईं. पूजा ने शादी के बीच ही अपने पति विकास से परीक्षा देने की बात कही. दूल्हा विकास भी इस फैसले में पूजा के साथ खड़ा रहा. शादी की सभी रस्में पूरी करने के बाद, विकास यादव अपनी नई नवेली दुल्हन को अपने घर ले जाने के बजाय सीधे आरके महिला कॉलेज परीक्षा केंद्र ले गया. वहां पूजा ने दुल्हन के परिधान में ही परीक्षा दी. कॉलेज के बाहर उसका पति परीक्षा समाप्त होने तक उसका इंतज़ार करता रहा.
पूजा ने कहा कि परीक्षा उसके लिए बेहद अहम थी और वह किसी भी हाल में इसे छोड़ना नहीं चाहती थी. उसने अपने पति से आग्रह किया कि वह पहले परीक्षा देगी, फिर ही ससुराल जाएगी. उसका यह निर्णय उसके आत्मविश्वास और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है. पूजा और विकास के इस कदम की जमकर सराहना हो रही है. सोशल मीडिया पर लोग इसे प्रेरणादायक और साहसी कदम बता रहे हैं. खासकर एक नई नवेली दुल्हन का शादी के बाद इस तरह परीक्षा देना लोगों को हैरान ही नहीं, बल्कि भावुक भी कर रहा है.
आरके महिला कॉलेज के प्रोफेसरों ने पूजा की इस लगन को सराहा और कहा कि यह उदाहरण अन्य छात्राओं के लिए भी प्रेरणा बन सकता है. कॉलेज प्रशासन ने इस संकल्प की जमकर तारीफ की और पूजा के साहस को सलाम किया. पूजा जब परीक्षा देकर ससुराल पहुंची, तो वहां भी लोगों ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया. ससुराल वालों ने न सिर्फ पूजा के इस निर्णय को समझा बल्कि उसकी तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बहू पर गर्व है जो शिक्षा को लेकर इतनी गंभीर है.
पूजा की सफलता में उसके पति विकास यादव का साथ भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा. शादी के दिन ही पूजा की परीक्षा की बात मानना और उसे समय से परीक्षा केंद्र ले जाना आज के दौर में एक समझदार और सहयोगी जीवनसाथी की मिसाल है. पूजा की यह कहानी न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है. यह दिखाता है कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी परिस्थिति बड़ी नहीं होती.
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