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गोपालगंज में प्रशांत किशोर का बड़ा बयान, कांग्रेस और एनडीए पर साधा निशाना

प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज उद्घोष यात्रा के तहत गोपालगंज पहुंचे, जहां उन्होंने कांग्रेस, राजद, जदयू और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जन सुराज के आने से अब अन्य दल भी जनता के बीच जाने को मजबूर हो गए हैं.

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गोपालगंज में प्रशांत किशोर
गोपालगंज में प्रशांत किशोर
Saurabh Jha|Updated: Mar 20, 2025, 04:28 PM IST
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जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (PK) अपने एक दिवसीय दौरे के तहत गोपालगंज पहुंचे, जहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई अहम मुद्दों पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि जन सुराज के प्रयासों का असर यह है कि अब अन्य राजनीतिक दलों को भी जमीन पर उतरकर जनता से संवाद करना पड़ रहा है. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि 1985 में बिहार में कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन उसे जागने में 40 साल लग गए. उन्होंने कहा कि जन सुराज के प्रभाव से अब राजद, बीजेपी और जदयू जैसे दलों को भी अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी.

कांग्रेस और अन्य दलों पर प्रशांत किशोर का कटाक्ष
प्रशांत किशोर ने कांग्रेस की यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने 40 साल पहले बिहार की जनता की सुध ली होती, तो आज बिहार की राजनीति अलग होती. उन्होंने कहा कि जन सुराज ने बिहार की जनता को विकल्प दिया है, जिससे अन्य दलों में भी हलचल मची है. पीके ने राजद पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब वह मुसलमानों को अपना राजनीतिक बंधुआ मजदूर नहीं समझ सकती. उन्होंने बीजेपी और जदयू पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे यह सोचकर मतदाताओं को हल्के में न लें कि लालू प्रसाद के डर से हिंदू समाज का एक वर्ग उन्हें ही वोट देगा.

गृह मंत्री अमित शाह को दी चुनौती
प्रशांत किशोर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे पर तंज कसा और कहा कि चुनाव नजदीक आते ही उन्हें बिहार की याद आ रही है. उन्होंने कहा कि अब नवंबर तक हर केंद्रीय योजना का शिलान्यास बिहार से ही होगा और किसान सम्मान निधि का पैसा भी यहीं से जारी किया जाएगा. लेकिन अगर गृह मंत्री को बिहार के लोगों की इतनी ही चिंता है, तो गुजरात में काम करने वाले बिहार के मजदूरों को भी वहां के स्थानीय मजदूरों के बराबर वेतन दिलवाएं.

बिहार में रोजगार के अभाव पर सरकार को घेरा
पीके ने कहा कि गुजरात की फैक्ट्रियों में एक गुजराती मजदूर को 20 हजार रुपये मजदूरी मिलती है, जबकि बिहार के मजदूरों को मात्र 12 हजार रुपये दिए जाते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि NDA की 11 साल पुरानी सरकार बिहार में कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं लगा पाई, जिसकी वजह से बिहार के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया कि गुजरात के सूरत और मोरबी की फैक्ट्रियों में काम कर रहे बिहार के मजदूरों को भी वहां के स्थानीय मजदूरों के बराबर वेतन दिलाया जाए.

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