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Bihar School New Timming: केके पाठक के नए फरमान से शिक्षक और बच्चे दोनों परेशान! राजनीति भी शुरू हुई

KK Pathak News: कांग्रेस सहित बीजेपी एमएलसी ने भी केके पाठक को लेकर हमला बोला है. कांग्रेस ने 'एक्स' पर लिखा कि केके पाठक और बिहार सरकार के द्वारा शिक्षकों की प्रताड़ना निंदनीय है. वहीं बीजेपी एमएलसी जीवन कुमार ने कहा कि अगर सुबह 6 बजे महिला शिक्षकों के साथ कोई घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

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केके पाठक
केके पाठक
K Raj Mishra|Updated: May 16, 2024, 02:22 PM IST
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KK Pathak News: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अपने सख्त नियमों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने हाल ही में एक ऐसा आदेश दिया है, जिस पर बवाल मच गया है. दरअसल, केके पाठक ने प्रचंड गर्मी को देखते हुए बिहार के सरकारी विद्यालयों की टाइमिंग में बदलाव कर दिया है. नए आदेश के मुताबिक, प्रदेश को सरकारी में अब स्कूल सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 तक बच्चों के लिए कक्षाएं संचालित होंगी. हालांकि, शिक्षकों को 1:30 तक स्कूल में रहना होगा. इस फैसले के बाद बच्चे और शिक्षक दोनों परेशान हैं. बच्चों का कहना है कि कक्षा में पढ़ते समय नींद आ रहा है. इतना ही नहीं घर से खाना नहीं खाकर आने से भूखे पेट पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है. वहीं टीचर्स का कहना है कि पूरा रूटीन डिस्टर्ब हो गया है. हम लोग भी खाना खा कर नही आए है. 

इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस सहित बीजेपी एमएलसी ने भी केके पाठक को लेकर हमला बोला है. कांग्रेस ने 'एक्स' पर लिखा कि केके पाठक और बिहार सरकार के द्वारा शिक्षकों की प्रताड़ना निंदनीय है. शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की अपनी भी निजी जिम्मेदारियां होती हैं. उनके अपने बच्चे क्या उपेक्षित नहीं होंगे? क्या इतने मानसिक तनाव में शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का सही निर्वहन कर पाएंगे? वहीं बीजेपी एमएलसी जीवन कुमार ने कहा कि अगर सुबह 6 बजे महिला शिक्षकों के साथ कोई घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

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उधर बेतिया में पुल नहीं होने से सैकड़ो बच्चे प्रतिदिन नाव से नदी को पार करते हैं. ऐसे में वह जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं. मझौलिया के सेमरा घाट में एक नाव हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बची. दरअसल, बच्चों को लेकर नाम जब बीच धारा में पहुंची तो नाव बालू के ओट में फंस गई. इस पर नाव में सवार कई लोग गहरे पानी में उतरे और नाव को खींचकर किनारे पर लाए.  ग्रामीण बताते हैं कि कई बार पीपा पुल की मांग की गई, लेकिन आज तक पीपा पुल नहीं बना.

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