गुमला: झारखंड के गुमला जिले में स्थित पवित्र आंजन पर्वत की गुफा में हनुमान जयंती के दिन हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है.इस मंदिर का खासियत यह है कि यहां भगवान हनुमान अपने बाल रूप में माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर माता अंजनी ने भगवान शिव के रुद्रावतार हनुमान को जन्म दिया था. गुमला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर स्थित आंजन धाम पूरे देश में अपनी अनूठी मान्यताओं और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है.
माता अंजनी की तपस्थली होने के कारण इस स्थान का नाम आंजन धाम पड़ा. यहां भगवान हनुमान को 'आंजनेय' नाम से भी जाना जाता है. देशभर में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां बाल हनुमान अपनी माता की गोद में दिखाई देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थीं और वर्ष के 365 दिनों में अलग-अलग शिवलिंगों की पूजा करती थीं. आज भी आंजन पर्वत पर चक्रधारी मंदिर में दो पंक्तियों में स्थापित आठ शिवलिंग जिन्हें अष्टशंभू कहा जाता है इस परंपरा के प्रमाण स्वरूप विद्यमान हैं.
रामायण के किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि इसी गुफा में पवन देव के स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया था. आंजन से लगभग 35 किलोमीटर दूर पालकोट स्थित पंपा सरोवर और ऋषिमुख पर्वत से भी इस कथा का गहरा संबंध है, जहां हनुमान कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में निवास करते थे.
झारखंड की उरांव जनजाति स्वयं को हनुमान का वंशज मानती है उनका गोत्र ‘तिग्गा’ है, जिसका अर्थ होता है वानर. जनजातीय परंपराओं के अनुसार राम-रावण युद्ध में उरांव जनजाति ने सैनिक के रूप में भाग लिया था. वे अपने पितरों को ‘आजा’ कहकर पुकारते हैं, जो कि भगवान राम के पितामह 'अज' के समान प्रतीत होता है. संथाल परगना की संथाल और हो जनजातियां भी हनुमान जी को अपना पूर्वज मानती हैं और अपने उपनाम में 'बानरा' शब्द का प्रयोग करती हैं.
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यहां हनुमान केवल एक देवता नहीं बल्कि जनजातीय समाज के रिश्तेदार, संरक्षक और आराध्य माने जाते हैं. स्थानीय उपचार विधियों में भी सबसे पहले हनुमान जी का आह्वान किया जाता है.
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