जहानाबाद: सावन की पहली सोमवारी पर जहां देशभर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है, वहीं बिहार के जहानाबाद जिले स्थित ऐतिहासिक वाणावर पहाड़ी पर बने बाबा सिद्धनाथ मंदिर में इस बार आस्था के साथ प्रशासनिक फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. मंदिर प्रांगण से स्थानीय पंडितों को हटाए जाने के विरोध में पंडित समाज ने शांतिपूर्ण मौन धरना दिया.
जानकारी के मुताबिक, प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस वर्ष पंडित समिति के कई सदस्यों को मंदिर प्रांगण से हटाकर तलहटी स्थित पातालगंगा क्षेत्र में बैठा दिया है. इसके विरोध में पंडित समिति के सदस्य इस बार मंदिर परिसर में नहीं बल्कि पातालगंगा में एकत्रित हुए और बिना किसी नारेबाजी के मौन विरोध दर्ज कराया. पंडितों के चेहरों पर प्रशासन के प्रति आक्रोश साफ दिखा, हालांकि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा.
पंडित समिति का कहना है कि उनके पूर्वज वर्षों से बाबा सिद्धनाथ मंदिर में जलाभिषेक के पहले श्रद्धालुओं से जल का संकल्प कराते आ रहे हैं. यह परंपरा सनातन संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन प्रशासन के इस निर्णय से न सिर्फ धार्मिक परंपरा बाधित हो रही है बल्कि स्थानीय पंडितों की आजीविका पर भी असर पड़ रहा है. समिति के अनुसार, पर्याप्त पंडित मंदिर में नहीं होने के कारण श्रद्धालुओं को संकल्प कराने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
इस पूरे मामले में जिलाधिकारी अलंकृता पांडेय ने स्पष्ट किया है कि पिछले वर्ष भगदड़ की घटना को ध्यान में रखते हुए बाहरी पंडितों को मंदिर परिसर से हटाया गया है, स्थानीय पंडितों को नहीं। हालांकि पंडित समिति का दावा है कि वे सभी स्थानीय हैं, फिर भी उन्हें मंदिर परिसर से बाहर बैठा दिया गया है. इस विरोधाभास के कारण अब प्रशासन के दावे और पंडित समिति की बातों में टकराव साफ दिख रहा है. पंडित समिति ने जिलाधिकारी से मांग की है कि पूर्व की तरह व्यवस्था बहाल की जाए ताकि आस्था, परंपरा और आजीविका को सुरक्षित रखा जा सके. देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस टकराव को किस तरह सुलझाता है.
इनपुट- मुकेश कुमार
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