Balrampur Assembly Elections 2025: कटिहार जिले की बलरामपुर विधानसभा (संख्या 65) चुनावी लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है. यहां के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और शुद्ध पानी की समस्या से लंबे समय से जूझ रहे हैं. खासकर बारसोई गोलीकांड को लेकर अब भी जनता के बीच आक्रोश है. रोजगार की कमी और सरकारी सेवाओं की बदहाली स्थानीय युवाओं के लिए बड़ी चिंता बनी हुई है.
यहां का सबसे बड़ा समीकरण है मुस्लिम वोटर, जो लगभग 70% हैं. इसके अलावा सामान्य वर्ग के मतदाता 50%, एससी 7.5%, ईबीसी 14% और ओबीसी 3% हैं. जाहिर है, यहां जो भी प्रत्याशी मुस्लिम मतदाताओं को साध लेता है, उसकी राह आसान हो जाती है.
2020 के चुनाव में महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के महबूब आलम ने शानदार जीत दर्ज की थी. उन्हें कुल 51.11% वोट मिले थे. एनडीए की तरफ से VIP पार्टी के वरुण कुमार झा दूसरे नंबर पर रहे. 2015 में भी महबूब आलम ने जीत हासिल की थी, जबकि 2010 में निर्दलीय दुलाल चंद्र गोस्वामी ने उन्हें मात दी थी. यानी मुकाबला हमेशा कड़ा रहा है.
इस बार भी महागठबंधन से महबूब आलम ही मैदान में रह सकते हैं. एनडीए की ओर से वरुण झा और संगीता देवी चर्चा में हैं. जदयू से ख्वाजा शाहिद, मनोज साथ, रोशन अग्रवाल भी दावेदारी पेश कर सकते हैं. अगर कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा सामने आता है तो समीकरण पूरी तरह बदल सकता है.
बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल 3 लाख 64 हजार 62 मतदाता हैं. इनमें 1.90 लाख पुरुष और 1.74 लाख महिला मतदाता शामिल हैं. क्षेत्र की पहचान बारसोई रेलवे स्टेशन और मिश्रित सांस्कृतिक रंगत से भी होती है.
जनता की प्रमुख मांगों में बेहतर शिक्षा, सुलभ स्वास्थ्य सुविधा, सड़क और रोजगार हैं. लोग चाहते हैं कि चुनावी वादे सिर्फ घोषणापत्रों तक सीमित न रहें. ऐसे में इस बार के चुनाव में सिर्फ जाति नहीं, बल्कि स्थानीय विकास का मुद्दा भी बड़ी भूमिका निभा सकता है.
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