Katihar News: बिहार के कटिहार जिले के मनिहारी सब्जी मंडी में किसानों की बेबसी एक बार फिर सामने आ गई. दरअसल, दो दिनों तक मंडी में परवल का कोई खरीदार नहीं मिला, तो दर्जनों किसानों ने अपनी मेहनत की उपज मंडी परिसर और रास्तों में फेंक दी. किसानों का कहना है कि उन्हें परवल का एक रुपये प्रति किलो तक भी दाम नहीं मिला, जबकि खेती में हजारों रुपये खर्च हो चुके हैं. रामपुर दियारा से परवल लेकर आए कई किसानों ने बताया कि उन्होंने इस बार अच्छी किस्म का लत्तर (पौधा) महंगे दामों में खरीदा था.
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पूरी गर्मी भर खेत में मेहनत की, सिंचाई, निराई-गुड़ाई, कीटनाशक, खाद और मजदूरी पर काफी पैसा लगाया, लेकिन जब फसल मंडी में आई, तो दो दिन तक कोई व्यापारी खरीदने नहीं आया. मजबूरी में उन्हें सैकड़ों किलो परवल मंडी में ही फेंकना पड़ा. किसानों ने बताया कि परवल की खेती में लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन बाजार में दाम गिरते जा रहे हैं. कई किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं. ऐसे में लागत भी नहीं निकलती तो परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है. किसानों ने कहा कि जब मेहनत की फसल को कोई खरीदने वाला नहीं मिलता, तो आत्मसम्मान को भी गहरी ठेस पहुंचती है. कई किसान मानसिक तनाव में आ जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं.
किसानों ने सरकार से मांग की है कि परवल सहित सभी प्रमुख सब्जियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया जाए. ताकि उन्हें अपनी उपज का वाजिब दाम मिल सके. इसके साथ ही, इस बार जिन किसानों की सब्जी मंडी में नहीं बिक पाई है, उन्हें तत्काल मुआवजा दिया जाए. किसानों का कहना है कि परवल की फसल तैयार होने पर बाजार में बाहरी राज्यों से भी परवल आने लगता है, जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान होता है. इस बार बाढ़ और मौसम की मार से भी फसल प्रभावित हुई है. ऊपर से मंडी में खरीदार नहीं मिले, तो नुकसान और बढ़ गया.
इसके अलावा कटिहार के कुरसेला बाजार में मौसम की मरा से सैकड़ों एकड़ तरबूज की खेती बर्बाद हो गई. ऐसे में तरबूज के माध्यम से लोगों तक मिठास पहुंचाने वाले किसान हताश और निराश हैं. जानकारी के मुताबिक, कुर्सेला प्रखंड के कोसी-गंगा स्थली पर सैकड़ों एकड़ में तरबूज की खेती होती है. गंगा-कोसी नदियों के बीच में बसे हुए इस दियारा क्षेत्र में किसान बाहर से आकर खेती करते हैं. कोई किसान 10 बीघा, कोई 5 बीघा, तो कोई 10 कट्ठा करता खेती करते हैं. पिछले साल तक अच्छी बात यह रही कि 1 एकड़ में 50 से 60 हजार रुपए की आमदनी भी हो रही थी. हालांकि, इस साल यहां खेती कर रहे किसानों को एक रुपए की भी आमदनी नहीं हुई है.
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दरअसल, यहां का तरबूज दूसरे राज्यों के प्रमुख शहरों में जैसे- कोलकाता, रांची, दुमका और पटना सहित बिहार के कई जिलों में अपनी मिठास देने में सक्षम है. हैरानी की बात यह है कि इस बार बाजार में 200 से 300 रुपये किवंटल भी तरबूज नहीं बिक रहा है. इसको लेकर लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से बिहार में हो रहे बेमौसम बारिश के कारण प्रखंड के किसानों को काफी खामियाजा उठाना पड़ा है.
इनपुट- रंजन कुमार
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