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Bihar News: बिहार मैट्रिक परीक्षा कॉपी मूल्यांकन में गड़बड़ी, BSEB के गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन

Bihar News: बिहार के किशनगंज में मैट्रिक परीक्षा कॉपी मूल्यांकन में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. जहां बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है.

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मैट्रिक परीक्षा कॉपी मूल्यांकन में गड़बड़ी
मैट्रिक परीक्षा कॉपी मूल्यांकन में गड़बड़ी
Nishant Bharti|Updated: Mar 03, 2025, 11:21 PM IST
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किशनगंज: किशनगंज जिले में मैट्रिक परीक्षा कॉपी मूल्यांकन केंद्र में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के गाइड लाइन का खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. किशनगंज के उच्च माध्यमिक विद्यालय चकला घाट में कॉपी मूल्यांकन के लिए नियुक्त किये गए शिक्षकों की लापरवाही देखने को मिला. केंद्र में देर से आए दर्जनों शिक्षकों को गेट के बाहर घण्टों इंतजार करना पड़ा. इस मूल्यांकन केंद्र पर सक्षम बिहार बुनियादी केंद्र की जिला प्रबंधक नूरी बेगम को बतौर मजिस्ट्रेट प्रतिनियुक्त किया गया है. लेकिन मूल्यांकन केंद्र पर प्रतिनियुक्त मजिस्ट्रेट की भी लेटलतीफी देखने को मिला निर्धारित समय से मैडम लेट से पहुंची. बाद में मजिस्ट्रेट नूरी बेगम के द्वारा वरीय अधिकारियों से बातचीत के बाद देर से आए शिक्षकों को सुधार की चेतावनी देते हुए प्रवेश की अनुमति दी गयी.

वहीं मूल्यांकन केंद्र के अंदर मोबाइल बैग सहित किसी भी प्रकार के अन्य कागजात लेकर जाने की मनाही है लेकिन उच्च माध्यमिक विद्यालय चकला घाट मूल्यांकन केंद्र के अंदर मजे से कई परीक्षक और एमपीपी को मोबाइल पर बात करते हुये देखा गया. बता दें कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के गाइडलाइन के अनुसार सुबह आठ बजे तक कॉपी जांच करने वाले प्रधान परीक्षक और मार्क्स पोस्टिंग पर्सन(MPP) सहित अन्य कर्मियों को मूल्यांकन केंद्र में पहुंचना अनिवार्य है. साथ ही सुबह 9 बजे से हर हाल में कॉपी मूल्यांकन का कार्य शुरू कर देना है. लेकिन किशनगंज में बिहार बोर्ड के गाइडलाइन को ताक पर रख कर मूल्यांकन का कार्य चल रहा है.

मूल्यांकन केंद्र पर तैनात पुलिस अधिकारी व जवान दिन के 11 बजे तक नजर नहीं आये थे. मैट्रिक परीक्षा कॉपी जांच में लापरवाही का आलम यह है कि बिहार बोर्ड द्वारा 38 शिक्षकों को मूल्यांकन केंद्र पर मार्क्स पोस्टिंग पर्सन (एमपीपी) बनाने की सूची भेजी गयी लेकिन उसमें से 19 शिक्षकों ने ही योगदान दिया. वहीं एक मार्च से शुरू होने वाली कॉपी जांच के लिए एमपीपी की तैनाती को लेकर डीईओ द्वारा जारी पत्र भी लापरवाही को बयां करने के लिए काफी है.

डीईओ द्वारा जारी पत्र में 2 मार्च तक एमपीपी को योगदान करने का आदेश दिया गया है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक मार्च से शुरू होने वाली कॉपी जांच के लिए 2 मार्च को एमपीपी को योगदान का आदेश कैसे दिया जा सकता है? जबकि मैट्रिक परीक्षा की कॉपी जांच में एमपीपी का महत्वपूर्ण काम होता है. एमपीपी द्वारा जांची गई कॉपी के कुल प्राप्तांक को नोट कर उसे कंप्यूटर में लेखा जोखा करने का काम करना है. पूरे मामले में डीईओ नासिर हुसैन ने कहा कि आज भर चेतावनी देकर छोड़ा गया है, आगे से सुधार नहीं होने पर कार्रवाई की जायेगी.

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जब मामले को लेकर डीएम विशाल राज से पूछा गया तो उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिया है. डीएम ने कहा कि मैट्रिक परीक्षा की कॉपी जांच में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के गाइडलाइन का हर हाल में पालन किया जायेगा. इसमें कोताही या लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि उच्च माध्यमिक विद्यालय में एक से 10 मार्च तक मैट्रिक परीक्षा की कॉपी जांच की जाएगी. लगभग 42 हजार कॉपियों की जांच के लिए 212 शिक्षकों को लगाया गया है. मिली जानकारी अनुसार सोमवार तीन मार्च तक 193 शिक्षक की योगदान दिये थे. बताया जाता है कि एक शिक्षक को प्रतिदिन कम से कम 45 कॉपियों की जांच करना अनिवार्य है. इसके लिए प्रत्येक शिक्षक को एक कॉपी जांच के लिए 14 रुपये व भाड़ा सहित अन्य खर्च के नाम पर 115 रुपये दिये जायेंगे.

इनपुट- अमित कुमार सिंह

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