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शराबबंदी और स्मार्टमीटर के खिलाफ अब जेडीयू से ही उठी आवाज, CM नीतीश कुमार के करीबी नेता ने कही ये बात

बिहार में शराबबंदी और स्मार्ट मीटर को लेकर अब जेडीयू के अंदर ही आलोचना शुरू हो गई है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने इन दोनों नीतियों पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है. वहीं पूर्व सांसद आनंद मोहन ने केंद्र और राज्य सरकार से वृद्धावस्था पेंशन 2500 रुपये और बेरोजगारी भत्ता 5000 रुपये करने की मांग की.

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शराबबंदी और स्मार्टमीटर के खिलाफ अब जेडीयू से ही उठी आवाज
शराबबंदी और स्मार्टमीटर के खिलाफ अब जेडीयू से ही उठी आवाज
Saurabh Jha|Updated: Jan 30, 2025, 11:25 PM IST
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लखीसराय: बिहार की राजनीति में नई उठापटक शुरू हो गई है. जदयू के ही एक वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले नेता ने राज्य सरकार की दो बड़ी नीतियों, शराबबंदी और स्मार्ट मीटर को लेकर सवाल उठाते हुए सरकार से पुनर्विचार की मांग की है. यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रदेश में विपक्ष के नेताओं ने इन नीतियों के खिलाफ मुहिम चलाया हुआ है. अब जदयू के भीतर से ही इन नीतियों को लेकर आलोचना की आवाज सामने आई है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक नीतीश सरकार के लिए चिंता का संकेत बता रहे हैं.  

क्या कहा जदयू नेता ने?
जदयू नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन ने गुरुवार को लखीसराय में आयोजित एक जनसभा में कहा की शराबबंदी, स्मार्ट मीटर और सर्वे पर पुनर्विचार करना चाहिए. पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन ने 2025 विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत का दावा किया. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को अंधे युग से बाहर निकाला है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से वृद्धावस्था पेंशन ढाई हजार रुपए एवं बेरोजगारी भत्ता पांच हजार करने की मांग किया. इसके साथ ही आनंद मोहन ने सरकार से शराबबंदी, सर्वे और स्मार्ट मीटर पर पुनर्विचार करने की मांग किया.

नीतीश सरकार के लिए चुनौती?
यह पहली बार नहीं है जब शराबबंदी, स्मार्ट मीटर और भूमि सर्वे को लेकर सरकार की आलोचना हुई है, लेकिन जदयू के भीतर से विरोध का स्वर उभरना नीतीश कुमार के लिए नई चुनौती पैदा कर सकता है. बता दें कि शराबबंदी को नीतीश कुमार की 'सामाजिक सुधार' नीति का प्रमुख एजेंडा माना जाता रहा है. वहीं, स्मार्ट मीटर की स्थापना को बिजली चोरी रोकने और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार का जरिया बताया गया है. लेकिन इन मुद्दों पर जनता में भी असंतोष बना हुआ है. जनता के बीच इन नीतियों को लेकर बढ़ते असंतोष को शांत करने की चुनौती है. 2025 के चुनाव में एनडीए की 'विजय' का दावा करने वाले नेताओं के लिए यह समय नीतिगत समीक्षा का हो सकता है.

सरकार का रुख क्या?
अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या जदयू प्रवक्ता की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर रही है. 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में एकजुटता बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार को संतुलित रणनीति अपनानी होगी.

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