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Bihar News: बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न, मोदी सरकार का लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला

Bihar News: अभी लोकसभा चुनाव में समय है, उससे पहले ही मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया है. चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह बहुत बड़ा दांव है. कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया है.

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फाइल फोटो
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Gangesh Thakur|Updated: Jan 23, 2024, 08:15 PM IST
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पटना: Bihar News: अभी लोकसभा चुनाव में समय है, उससे पहले ही मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया है. चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह बहुत बड़ा दांव है. कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया है. अभी लोकसभा चुनाव में समय है, उससे पहले ही मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया है.

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चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह बहुत बड़ा दांव है. कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया है. अभी 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती मनाने की तैयारी की जा रही है. जन्म जयंती से पहले भारत रत्न देने की भी तैयारी चल रही है. बता दें कि कर्पूरी ठाकुर बिहार के सबसे बड़े पिछड़े नेताओं में एक रहे हैं.

कर्पूरी ठाकुर बिहार के काफी निर्धन परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन जनता में उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा थी. उनके बेटे रामनाथ ठाकुर नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से सांसद हैं, लेकिन चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस कदम को मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है.

जननायक कर्पूरी ठाकुर के बारे में आपको बता दें कि इनका जन्म समस्तीपुर के गांव पितैजिया में पैदा हुआ, जिसे कर्पूरी ग्राम कहा जाता है. बता दें कि कर्पूरी ठाकुर जाति से नाई थे और काफी निर्धन परिवार से आते थे. उनके पिता सीमांत किसान थे. वह दो बार बिहार के सीएम रहे. वह राजनेता होने से पहले बेहतरीन शिक्षक रहे. मीसा आंदोलन के समय उन्हें जेल में रहना पड़ा था. 

स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी वह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में रहे.  बता दें कि 24 जनवरी को उनका जन्मजयंती है. इस दिन उनकी 100वीं जन्म जयंती मनाई जाएगी. मुख्यमंत्री रहते हुए भी वे शुचिता का पालन करते थे. वह राजेंद्र प्रसाद की तरह राजनीति में रहते और बिहार का सीएम रहते भी सादा जीवन जीते रहे. बिहार की राजनीति में स्वर्ण अक्षरों में इनका नाम लिया जाता है. आज भी बिहार में सभी दल कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाने को बेचैन दिखते हैं. 

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