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Bihar Congress: विधायक-सांसद तो छोड़िए बिहार में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी बदल लेते हैं पाला! देखिए अबतक कितनों ने छोड़ी पार्टी

Bihar Congress News: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने रविवार (31 मार्च) को कांग्रेस को अलविदा कर दिया. अनिल शर्मा से पहले अशोक चौधरी, महबूब अली कैसर और राम जतन सिन्हा भी कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं. ये सभी नेता भी एक वक्त बिहार कांग्रेस की कमान संभाल चुके हैं.

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बिहार में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी बदल लेते हैं पाला!
बिहार में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी बदल लेते हैं पाला!
K Raj Mishra|Updated: Apr 01, 2024, 12:46 PM IST
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Bihar Congress Crisis: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार कांग्रेस में काफी काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. रविवार (31 मार्च) को पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस छोड़ते समय अनिल शर्मा ने राजद पर जमकर हमला बोला. उन्होंने राजद पर जंगलराज लाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में जंगलराज की वापसी होगी. अगर राजद जीता तो जंगलराज की वापसी हो जाएगी. इसके साथ ही अनिल शर्मा ने गांधी परिवार पर भी जमकर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि 1998 में जब से आरजेडी का कांग्रेस से गठबंधन हुआ था मैं इस गठबंधन का विरोधी रहा हूं. आरजेडी के साथ कांग्रेस का गठबंधन आत्मघाती है. लालू के कारण कांग्रेस बिहार में वोट कटवा पार्टी बनके रह गई है. 

गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए अनिल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के इतिहास में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी समझौता करती रही. 1999 के बाद कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो चुका है. बेचारे मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष) रिमोट से चलते हैं. कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर है. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहते मैं पप्पू यादव का विरोध करता था. वह कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उनका महिमामंडन नहीं कर सकता. मेरे पार्टी छोड़ने का यह भी एक कारण है.

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यह पहली बार नहीं है जब बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रह चुके नेता ने पार्टी का साथ छोड़ दिया. अनिल शर्मा से पहले अशोक चौधरी, महबूब अली कैसर और राम जतन सिन्हा भी कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं. ये सभी नेता भी एक वक्त बिहार कांग्रेस की कमान संभाल चुके हैं. महादलित समुदाय से आने वाले अशोक चौधरी जेडीयू में आने से पहले बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उनके पिता महावीर चौधरी भी कांग्रेस के बड़े नेता थे. वह राहुल गांधी के काफी करीबी नेता माने जाते थे, लेकिन 1 मार्च 2018 को अशोक चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर नीतीश कुमार का हाथ पकड़ लिया था. आज वह नीतीश कुमार के काफी करीबी नेता हैं और बिहार सरकार में मंत्री हैं. 

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बिहार के नवाब परिवार से ताल्लुक रखने वाले महबूब अली कैसर ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस पार्टी से शुरू किया था. स्वर्गीय चौधरी सलाहुद्दीन भी कांग्रेस के बड़े नेता थे, जो बिहार सरकार में मंत्री भी थे. 2010 से 2013 तक वह बिहार कांग्रेस की कमान संभाल चुके हैं. 2014 में जब कांग्रेस पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया तो नाराज होकर उन्होंने रामविलास पासवान की लोजपा ज्वाइन कर ली थी और लोजपा की टिकट पर खगड़िया लोकसभा सीट से सांसद बने. इस बार चिराग पासवान ने उनको टिकट नहीं दी है. 

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दो दशक से ज्यादा कांग्रेस की राजनीति करने के बाद रामजतन सिन्हा ने भी 2015 में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. इसके बाद उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन हार गए थे. 2019 में अपने हजारों समर्थकों के साथ वह जदयू का हिस्सा बन गए थे. जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर सिन्हा और प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी. हालांकि, जेडीयू में भी ज्यादा दिनों तक उनका मन नहीं लगा और 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जेडीयू से भी रिश्ता तोड़ लिया था. 

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