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Lok Sabha Election 2024: BJP ने सवर्णों तो JDU ने OBC पर लगाया दांव, मोदी-नीतीश के जातीय चक्रव्यूह को कैसे भेदेगा महागठबंधन?

Lok Sabha Election 2024: सीटों के बंटवारे से लेकर कैंडिडेट की घोषणा तक केवल कास्ट कॉम्बिनेशन का ही ख्याल रखा गया है. 'मिशन 400' के लक्ष्य को देखते हुए बीजेपी ने तो इस बार 70+ वाले बंधन को भी खत्म कर दिया है. 

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CM नीतीश-PM मोदी
CM नीतीश-PM मोदी
K Raj Mishra|Updated: Mar 25, 2024, 11:55 AM IST
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Lok Sabha Election 2024: बिहार में महागठबंधन जहां अभी तक सीट शेयरिंग के ही गुणा-भाग में उलझा हुआ है, वहीं एनडीए की ओर से 35 सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए गए हैं. एनडीए खेमे में अब सिर्फ चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को अपने हिस्सों की सीटों पर उम्मीदवार उतारना बाकी रह गया है. जेडीयू और बीजेपी की ओर से रविवार (24 मार्च) को अपनी-अपनी सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए गए हैं. बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर ऐसा जातीय चक्रव्यूह रचा है, जिसे भेद पाना महागठबंधन के लिए आसान नहीं होगा. सीटों के बंटवारे से लेकर कैंडिडेट की घोषणा तक, दोनों पार्टी की तरफ से केवल कास्ट कॉम्बिनेशन का ही ख्याल रखा गया है. 'मिशन 400' के लक्ष्य को देखते हुए बीजेपी ने तो इस बार 70+ वाले बंधन को भी खत्म कर दिया है. सिर्फ उन्हीं नेताओं पर दांव खेला गया है, जो जीत की गारंटी देते हों. 

BJP ने सवर्णों तो JDU ने OBC पर लगाया दांव

बीजेपी ने जहां सवर्णों पर फोकस किया है, वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने पिछड़ा और अति-पिछड़ा समाज को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. बीजेपी ने 60% सवर्णों को टिकट बांटे हैं. इनमें भी राजपूत समाज हावी रहा. 17 में से 5 राजपूत, दो भूमिहार, दो ब्राह्मण और एक कायस्थ समाज के नेता को टिकट मिली है. यानि 17 में से 10 कैंडिडेट सवर्ण हैं. इनके अलावा तीन यादव, एक बनिया, एक दलित, और दो अति पिछड़ा को टिकट दिया गया है. खास बात ये है कि प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी अपनी जाति के एक भी कैंडिडेट को टिकट नहीं दिला पाए हैं. 

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JDU से पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को 11 टिकट

वहीं जेडीयू की ओर से अपनी 16 सीटों में से 11 पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं को टिकट दिया है. पार्टी ने सवर्ण जाति से भी 3 नेताओं को भी टिकट दिया है. इसके अलावा 1 अल्पसंख्यक और 1 अनुसूचित जाति के नेता को टिकट दिया गया है. नीतीश कुमार ने पिछड़ा समाज के 6 और अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले 5 नेताओं को टिकट देकर इस तबके को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. गोपालगंज से जेडीयू का टिकट पाने वाले आलोक कुमार सुमन महादलित समाज से ताल्लुक रखते हैं. किशनगंज से मुजाहिद आलम को मैदान में उतारा गया है. इस तरह से नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज को भी साधने की कोशिश की है. मुंगेर, सीतामढ़ी और शिवहर से सवर्ण जाति के प्रत्याशियों पर दांव खेला गया है. 

कुछ नए चेहरों पर भी दांव लगाया गया

बीजेपी और जेडीयू की ओर से कुछ नए चेहरों पर भी दांव लगाया गया है. बीजेपी की ओर से मुजफ्फरपुर से अजय निषाद का टिकट काटना एक हैरानी भरा फैसला है. यहां से उनका परिवार पिछले 28 साल से जीतते आ रहा है. अजय निषाद 2014 से लगातार दो बार यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. इससे पहले उनके पिता जय नारायण निषाद यहां से सांसद हुआ करते थे. बीजेपी ने इस बार यहां से राजभूषण निषाद को टिकट दिया है. इस तरह से पार्टी अजय निषाद के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को खत्म करना चाहती है. साथ ही मुकेश सहनी की सियासत को भी समाप्त करना चाहती है, क्योंकि जय नारायण निषाद मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं.

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इन सांसदों का भी टिकट कट गया 

बक्सर से केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और सासाराम से छेदी पासवान का टिकट काटना भी चौंकाने वाला फैसला है. अश्विनी चौबे की जगह मिथिलेश तिवारी को टिकट मिला है. सासाराम से छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम को मैदान में उतारा गया है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भी इस बार 3 नए चेहरों पर दांव लगाया है. जेडीयू ने सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू का टिकट काटकर दिनेश चंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है. सिवान सीट से कविता सिंह की जगह पर विजय लक्ष्मी कुशवाहा मैदान में हैं. वहीं शिवहर से बीजेपी की रमा देवी का टिकट काटकर जेडीयू की लवली आनंद को उतारा गया है. इस बार काराकाट सीट उपेंद्र कुशवाहा को मिली है, इसलिए इस सीट से जेडीयू के महाबली सिंह का टिकट कट गया है. इसी तरह से गया से विजय मांझी का पत्ता कट गया और ये सीट जीतन राम मांझी को मिली है. 

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