Lok Sabha Election 2024: लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार यानी लोकसभा चुनाव में अब मुश्किल से एक या दो महीने का वक्त बचा है. आने वाले दो महीनों में जनता को एक बार फिर से अपना सांसद चुनने का मौका मिलने वाला है. चुनावी शोरगुल से पहले हम आपको पिछले चुनाव की कुछ दिलचस्प बातों को याद दिला रहे हैं. इसी कड़ी में बिहार के नेता उपेंद्र कुशवाहा के चुनावी रिजल्ट को जानना भी बेहद जरूरी है. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को हाल ही में चुनाव आयोग से मान्यता मिली है. जेडीयू से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) रखा था लेकिन अब इलेक्शन कमीशन ने उनकी पार्टी को नया नाम दे दिया है. रालोजद अब राष्ट्रीय लोक मोर्च में बदल चुकी है.
कुशवाहा का राजनीतिक इतिहास बड़ा दिलचस्प रहा है. राजनीति में पलटू राम के नाम से भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मशहूर हों, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा भी कुछ कम नहीं हैं. वह भी अपनी सुविधा अनुसार ताश के पत्तों की तरह गठबंधन के साथियों उलटते-पलटते रहते हैं. वह आज एनडीए के साथ हैं लेकिन पिछला चुनाव वह महागठबंधन के साथ मिलकर लड़े थे. उस वक्त उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) हुआ करता था. 2019 में राजद की लालटेन की रोशनी में कुशवाहा दो सीटों से मैदान में उतरे थे. उसके बाद भी उनको कुछ नहीं मिला था. जबकि उससे पिछला चुनाव यानी लोकसभा चुनाव 2014 में वह एनडीए के साथी थे और चुनाव जीतने पर मोदी सरकार में मंत्री बने थे.
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उजियारपुर में नित्यानंद राय ने हराया था
2019 में कुशवाहा काराकाट और उजियारपुर सीट से चुनाव लड़े थे. काराकाट में उन्हें जेडीयू के महाबली सिंह से तो वहीं उजियारपुर में बीजेपी के नित्यानंद राय से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. सबसे पहले उजियारपुर की बात करते हैं. उजियारपुर की बात करें तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बतौर भाजपा प्रत्याशी 543906 यानी 56.11 प्रतिशत वोट पाए थे तो उनके प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा को 266628 यानी 27.51 वोट ही मिल पाए थे. इस तरह नित्यानंद राय ने उपेंद्र कुशवाहा को 277,278 वोटों से हराया था.
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काराकाट सीट पर भी मिली थी मात
वहीं कराकाट की बात करें तो इस सीट पर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा को 3,13,866 यानी 36.13 मत ही हासिल हो पाए थे. वहीं उनके प्रतिद्वंदी जेडीयू के महाबली सिंह ने 3,98,408 यानी 45.86 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इस तरह से 84,542 वोटों से उपेंद्र कुशवाहा की हार हुई थी. वहीं 2014 में बीजेपी का समर्थन होने के कारण काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा की जीत हुई थी. 2014 में कुशवाहा को एनडीए में तीन सीटें मिली थीं. तब कुशवाहा ने 100 की स्ट्राइक रेट से तीन सीटें जीतीं थीं.