trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar02083466
Home >>Bihar loksabha Election 2024

Nitish Kumar: 'राम लला' आए और नीतीश का मन बदल गए, तभी तो शपथ ग्रहण में लगे 'जय श्री राम' के नारे!

22 जनवरी को अयोध्या में जब भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था. तब पूरे देश में जो माहौल था वह किसी से छुपा नहीं है, देश में उस दिन दूसरी दीपावली मनाई गई थी. देशभर की सड़कें और गलियां जय श्री राम के नारों से गूंज उठा था. दुनिया के हर देश में बस इसी की चर्चा थी.

Advertisement
फाइल फोटो
फाइल फोटो
Gangesh Thakur|Updated: Jan 28, 2024, 11:13 PM IST
Share

Nitish Kumar: 22 जनवरी को अयोध्या में जब भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था. तब पूरे देश में जो माहौल था वह किसी से छुपा नहीं है, देश में उस दिन दूसरी दीपावली मनाई गई थी. देशभर की सड़कें और गलियां जय श्री राम के नारों से गूंज उठा था. दुनिया के हर देश में बस इसी की चर्चा थी. वक्त कुछ ज्यादा गुजरा नहीं है अभी तो 6 दिन पीछे की ही ये बात है देश के राजनीतिक दलों को इस बात का एहसास होने लगा था कि यह कार्यक्रम भाजपा के लिए एक बार फिर से सत्ता में वापसी का रास्ता आसान कर देगा. ऐसे में इंडिया गठबंधन के दल जहां एक ओर इस कार्यक्रम का विरोध कर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे थे वहीं बिहार की सियासी फिजा में एक दल जदयू थी जो उस गठबंधन में रहते हुए भी गठबंधन के घटक दलों को ऐसी बयानबाजी से बचने की नसीहत दे रहा था. 

ये भी पढ़ें- बिहार में एक डील और कैसे वोट बैंक की राजनीति में भाजपा की हो गई बल्ले-बल्ले!

बिहार में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के 6 दिन बाद ही सियासी तूफान आया और यहां की सरकार बदल गई. सीएम तो नीतीश कुमार ही रहे लेकिन वह महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ कदम मिलाकर चलने लगे. ऐसे में सभी मानते हैं कि राम मंदिर ही नीतीश कुमार के यूटर्न की बड़ी वजह बना. यानी राम लला अयोध्या में विराजे और नीतीश की राजनीतिक चेतना बदल गई. नीतीश की राह भाजपा की तरफ हो ली और यह उनकी मजबूरी बन गई. ऐसे में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में जमकर भाजपा और जदयू के नेताओं ने 'जय श्री राम' के नारे लगाए. 

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जहां कई मुद्दे विपक्ष ने भाजपा को घेरने के लिए तैयार किए थे. वहीं भाजपा की तरफ से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मुद्दे ने विपक्ष के सारे मुद्दे को धाराशायी कर दिया. विपक्षी दल इससे बेचैन दिखे. विपक्षी दलों के नेताओं ने तो प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के निमंत्रण के बाद भी इससे दूरी बना ली. 

वहीं नीतीश कुमार इंडी अलायंस में सीट बंटवारे में देरी और खुद की अनदेखी से पहले से ही नाराज थे. मल्लिकार्जुन खरगे को जब इस गठबंधन का अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव आया तो नीतीश की नाराजगी सबके सामने आ गई. ममत बनर्जी ने तो नीतीश के सामने ही खरगे को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव तक रख दिया बाद में उन्हें इस गठबंधन का अध्यक्ष बना दिया गया. नीतीश को लग रहा था कि कांग्रेस इस गठबंधन को हाईजेक करना चाह रही है. ऐसे में नीतीश के सामने जब इसका संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव आया तो उन्होंने इसे ठुकरा दिया. 

भाजपा ने राम मंदिर के बाद एक और मास्टरस्ट्रोक चला जिसके बाद नीतीश भाजपा के और नजदीक हो गए. दरअसल पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया. इसके बाद एक मंच से नीतीश कुमार वंशवाद की राजनीति पर निशाना साधते हुए गठबंधन सहयोगियों पर ही बरस पड़े. ऐसे में राम के आने पर नीतीश का मन बदला और इसी का असर उनके शपथ ग्रहण समारोह में भी देखने को मिला जब वहां राजभवन में जय श्री राम के नारे गूंजने लगे. 

Read More
{}{}