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Bisfi Vidhan Sabha Seat: बिस्फी में चलता है BJP के बचौल का जादू! पुष्पम प्रिया चौधरी की हो गई थी जमानत जब्त

Bisfi Vidhan Sabha Chunav: बिस्फी विधानसभा सीट मधुबनी जिले के अंतर्गत आती है और मधुबनी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है. मिथिला की इस धरती को विद्वानों और साहित्यकारों की भूमि माना जाता है. बीते कुछ चुनावों से यहां बीजेपी और राजद की टक्कर देखने को मिली है.

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बिस्फी विधानसभा सीट
बिस्फी विधानसभा सीट
K Raj Mishra|Updated: Aug 10, 2025, 03:42 PM IST
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Bisfi Assembly Seat Profile: बिहार के मधुबनी जिले की बिस्फी विधानसभा सीट की इस बार काफी चर्चा हो रही है. यह सीट सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. मिथिला की इस धरती को विद्वानों और साहित्यकारों की भूमि माना जाता है. नेपाल बॉर्डर पर स्थित यह सीट भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों से काफी संवेदनशील है. यह पूरा क्षेत्र हर साल नेपाली नदियों से आई बाढ़ का शिकार हो जाता है. यही वजह है कि यहां बेरोजगारी चरम पर है. सड़कें जर्जर हैं और शिक्षा एवं स्वास्थ्य की स्थिति काफी कमजोर है. रोजगार की तलाश में यहां का युवा पलायन करने को मजबूर है.

प्लूरल्स पार्टी की संस्थापक और लंदन रिटर्न्स गर्ल पुष्पम प्रिया चौधरी ने पिछली बार बिस्फी सीट और बांकीपुर सीट से चुनाव लड़ा था. दोनों जगहों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. बिस्फी में उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी. 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले पुष्पम प्रिया चौधरी ने बिहार की सियासत में कदम रखा था. उन्होंने प्लूरल्स पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था. वह अपने काले लिबास को लेकर चर्चा का केंद्र बन गई थीं. चुनाव प्रचार के दौरान बिहार को बदलने का दावा करती थीं. लेकिन जनता ने उन्हें नहीं चुना और उनके सभी कैंडिडेट को हार का सामना करना पड़ा था. 

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सियासी इतिहास

इस विधानसभा सीट पर पहली बार 1967 में चुनाव हुआ. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नेता आरके पूर्बे को इस सीट से जीत मिली. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी नूरिद्दीन को मात दी थी. 1969 के चुनाव में भी आरके पूर्बे ही जीते. 1967 से 2000 तक यह सीट कभी कांग्रेस के पाले में गई तो कभी सीपीआई के खाते में आई. वाम दलों की इस विधानसभा में 1995 तक पैठ रही. 2000 के बाद से BJP और आरजेडी में मुकाबला हो रहा है. साल 2010 और 2015 के चुनावों में आरजेडी के डॉ. फैयाज अहमद ने जीत दर्ज की, लेकिन 2020 में BJP के हरिभूषण ठाकुर ने कमल खिला दिया.

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जातीय समीकरण

 सीट का जातिगत समीकरण बेहद दिलचस्प है. यह सीट यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं के त्रिकोणीय समीकरण के कारण हमेशा राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में रहती है. ब्राह्मणों की भी अच्छी-खासी संख्या है, जो परंपरागत रूप से बीजेपी या कांग्रेस का समर्थन करते रहे हैं. यही कारण है कि हर पार्टी यहां जातिगत संतुलन को ध्यान में रखकर ही उम्मीदवार चुनती है.

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