trendingNow/india/bihar-jharkhand/bihar02578487
Home >>BH madhubani

Madhubani Paintings: विदेशी स्कॉलर का मधुबनी पेंटिंग से लगाव, इटली की अल्फांसो सीख रहीं पेंटिंग

Madhubani Paintings: इटली की रिसर्च स्कॉलर अल्फांसो इनरिका मधुबनी पेंटिंग सीखने और इसकी सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए मधुबनी आई हैं. उन्हें मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग और दोपट्टा पहनाकर सम्मानित किया गया. अल्फांसो यहां दो हफ्ते रुककर मधुबनी पेंटिंग की बारीकियां सीख रही हैं.  

Advertisement
Madhubani Paintings: विदेशी स्कॉलर का मधुबनी पेंटिंग से लगाव, इटली की अल्फांसो सीख रहीं पेंटिंग
Madhubani Paintings: विदेशी स्कॉलर का मधुबनी पेंटिंग से लगाव, इटली की अल्फांसो सीख रहीं पेंटिंग
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Dec 28, 2024, 05:07 PM IST
Share

मधुबनी: इटली की रहने वाली रिसर्च स्कॉलर अल्फांसो इनरिका इन दिनों बिहार के मधुबनी जिले में अपनी गहरी रुचि रखने वाली मधुबनी पेंटिंग सीख रही हैं. पारंपरिक भारतीय कला और संस्कृति के आकर्षण ने उन्हें यहां खींच लाया है. अल्फांसो, जो फर्राटेदार हिंदी बोलती हैं बचपन से ही पेंटिंग के प्रति उत्साहित रही हैं और अब वे मधुबनी पेंटिंग की बारीकियों को समझने में जुटी हैं.

मिथिला पेंटिंग इंस्टीट्यूट की शिक्षिका डॉक्टर रानी झा के मार्गदर्शन में अल्फांसो न केवल पेंटिंग की तकनीक सीख रही हैं, बल्कि कलाकारों के रहन-सहन, उनकी संस्कृति और जीवनशैली को भी नजदीक से समझने का प्रयास कर रही हैं. उन्हें मिथिला की सांस्कृतिक परंपरा के प्रतीक पाग और दोपट्टा से सम्मानित भी किया गया. साथ ही अल्फांसो ने बताया कि उन्होंने मधुबनी पेंटिंग के बारे में बहुत सुना था और इसे देखने पर इसकी सुंदरता ने उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित किया. उनके अनुसार विदेशों में मधुबनी पेंटिंग का काफी नाम है और मैं इसे इटली और यूरोप के अन्य देशों में ले जाना चाहती हूं. इससे दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे.

इसके अलावा भारत के विभिन्न राज्यों में पेंटिंग सीखने के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कलाकारों से मुलाकात की, लेकिन मधुबनी पेंटिंग ने उन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया. अल्फांसो ने इस बात पर भी जोर दिया कि मधुबनी की महिलाएं और लड़कियां पेंटिंग के माध्यम से आत्मनिर्भर हो रही हैं. यह देखना उनके लिए बेहद प्रेरणादायक रहा. उन्होंने भारत सरकार की कलाकारों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं की भी सराहना की और कहा कि इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं.

डॉक्टर रानी झा ने बताया कि अल्फांसो उनके आवास पर रहकर पेंटिंग की तकनीकों को बारीकी से सीख रही हैं. वे गांवों में जाकर कलाकारों से भी मिल रही हैं और उनके जीवन को समझ रही हैं. 23 दिसंबर को मधुबनी पहुंचीं अल्फांसो 5 जनवरी को इटली लौटेंगी. वहां वे मधुबनी पेंटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए अपने अनुभव साझा करेंगी. साथ ही अल्फांसो का मानना है कि भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना जरूरी है. उनके इस प्रयास से न केवल मधुबनी पेंटिंग का विस्तार होगा, बल्कि यह भारत और यूरोप के सांस्कृतिक संबंधों को भी प्रगाढ़ करेगा.

इनपुट - बिन्दु भूषण

ये भी पढ़िए- 'साक्ष्य दें वरना होगी कार्रवाई...', BPSC प्रदर्शन पर गुरु रहमान को भेजा गया नोटिस

Read More
{}{}