Madhubani News: मधुबनी में एक अनोखा मामला सामने आया है. अदालत ने मधुबनी समाहरणालय को नीलाम करने का आदेश दिया है. यह आदेश 4 करोड़ 17 लाख रुपये से अधिक की बकाया राशि के भुगतान न होने पर दिया गया है. कोर्ट के आदेश पर हड़कंप मच गया. कोर्ट के आदेश के अनुसार, समाहरणालय में डीएम, एसपी सहित आलाधिकारी बैठते हैं, अब इसे दो सप्ताह बाद नीलम कर दिया जाएगा. मधुबनी डीएम को हाई कोर्ट के जज के आदेश को अनसुना करना महंगा पर गया है. मधुबनी कोर्ट के आदेश पर मधुबनी कलेक्ट्रेट गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया गया है. मधुबनी कलेक्ट्रेट पर ब्याज समेत 4 करोड़ 17 लाख रुपये बकाया है. 15 दिनों के भीतर डिक्रीदार कोलकाता के मेसर्स राधा कृष्णा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड को भुगतान करना होगा. आरब्रिट्रेशन EXEC.-3/2016 के माननीय न्यायालय के पारित आदेश में भुगतान का निर्देश दिया गया था.
दरअसल, मामला पंडौल प्रखण्ड कुख्यालय स्थित पंडौल कॉपरेटिव सूता मिल से जुड़ा हुआ है. हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस न्यायमूर्ति घनश्याम प्रसाद ने मेसर्स राधाकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक रतन कुमार केडिया बनाम कॉपरेटिव सूता मिल पंडौल, बिहार सरकार और अन्य के मामले में आगत 2014 को आदेश पारित किया था. आदेश में विपक्षी को एडवांस भुगतान 28 लाख 90 हजार रुपया और क्षतिपूर्ति 2 लाख 70 हजार सहित अन्य खर्च 1 लाख 80 हजार रुपया भुगतान का निर्देश दिया था. साथ ही ससमय भुगतान नहीं करने पर 18 प्रतिशत ब्याज का भुगतान का आदेश दिया था. आदेश का पालन नहीं होने पर 2016 में कंपनी द्वारा मधुबनी कोर्ट में आदेश अनुपालन कराने के लिए मामला दायर कराया था.
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कॉपरेटिव सूता मिल सरकार के देख रेख में चल रहा था ,1997 में मिल बंद हो गया. उसी समय कंपनी और सूता मिल के अधीकारियों के बीच करार हुआ था की मिल का संचालन सरकार को करनी थी और कंपनी को पूंजी और कच्चा माल देना था. अगर समय से 2014 में कंपनी को 33 लाख 44 हजार भुगतान कर दिया जाता तो आज 4 करोड़ 17 लाख 24 हजार रुपया नहीं होता साथ ही समाहरणालय के नीलामी की नौबत नहीं आती. हालांकि मामले में कोई भी अधिकारी बोलने से बच रहे है.देखना है दो सप्ताह बाद मधुबनी कलेक्टेरियट की नीलामी होती है या सूद समेत रुपये का भुगतान किया होता है.
रिपोर्ट- बिंदू भूषण
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