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पढ़ाई छोड़, चावल के सौदागर बने गुरूजी, तालाब में दफनाए ‘गुनाह’ के बोरे!

Bihar News: धरहरा प्रखंड के मध्य विद्यालय पचरूखी के प्रभारी प्रधानाध्यापक दिवाकर कुमार पर मध्यान्ह भोजन के चावल की कालाबाजारी का गंभीर आरोप लगा है. वायरल वीडियो में मजदूर को चावल की बोरियां तालाब में दबाते देखा गया है.

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चावल के सौदागर बने गुरूजी
चावल के सौदागर बने गुरूजी
Nishant Bharti|Updated: Apr 12, 2025, 07:55 PM IST
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मुंगेर: धरहरा प्रखंड के मध्य विद्यालय पचरूखी में पढ़ाई भले जैसे-तैसे हो रही हो, लेकिन चावल जरूर 'तालाब' में डुबकी लगा रहा है. ताज़ा मामले में स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक दिवाकर कुमार फिर एक बार चर्चा में हैं. इस बार बच्चों के मध्यान्ह भोजन के लिए आए चावल को तालाब में फिंकवाने को लेकर. एक वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह एक मजदूर बोरी में चावल भरकर स्कूल परिसर के पिछले रास्ते से तालाब की ओर जाता है, और फिर उसमें गड्ढा खोदकर चावल को दफना देता है. यह प्रक्रिया एक बार नहीं, कई बार दोहराई गई और ग्रामीणों ने पूरे मामले को वीडियो में कैद कर लिया.

जब इस बारे में ग्रामीणों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि चावल में कोई कीड़ा नहीं था, बल्कि चावल पूरी तरह से खाने लायक था. वहीं स्कूल के शिक्षक राहुल रंजन का दावा है कि 16 जनवरी को प्रभारी एचएम दिवाकर कुमार को खुद शिक्षकों ने चावल की कालाबाजारी करते रंगे हाथों पकड़ा था. 37 बोरा चावल का आवंटन था, लेकिन मात्र 17 बोरा चावल ही स्कूल में लाया जा रहा था. बाकी चावल का क्या हुआ? वही शायद अब तालाब में तैरता नजर आ रहा है.

घटना के बाद पूरे गांव में आक्रोश है डीपीओ फारूक रहमान और एमडीएम प्रभारी प्रियंका कुमारी ने जांच कर बताया कि 26 बोरा अतिरिक्त चावल स्टॉक में मिला. उसके बाद गोदाम में दो ताले लगवाए गए और चाभी एचएम और शिक्षक राहुल रंजन को दे दी गई. लेकिन जैसे ही 31 मार्च को बीआरपी ने राहुल रंजन से चाभी ली, कुछ ही दिन बाद तालाब में चावल फेंकने की बात फिर सामने आ गई.

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इस आरोप पर जब प्रभारी एचएम दिवाकर कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह धरहरा बीडीओ सह बीईओ राकेश कुमार के आदेश पर यह कर रहे हैं, और यह चावल महीनों से गिरा हुआ और गंदा था. गांव वाले कह रहे हैं कि यह सब सिर्फ उस अतिरिक्त 26 बोरा चावल को गायब करने की साजिश है, ताकि जांच में एचएम को क्लीन चिट मिल सके. अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग इस 'तालाब प्रकरण' में सच्चाई सामने लाने की हिम्मत दिखाएगा, या फिर चावल की तरह सच्चाई भी मिट्टी में दबा दी जाएगी?

इनपुट- प्रशांत कुमार

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