प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में बिहार के नालंदा जिले के सिलाव प्रखंड स्थित नेपुरा गांव के बुनकर नवीन कुमार के काम की विशेष सराहना की. उन्होंने बताया कि नवीन कुमार का परिवार पीढ़ियों से बुनाई के पारंपरिक काम से जुड़ा रहा है और अब यह परिवार आधुनिक तकनीक अपनाकर इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री की इस तारीफ के बाद गांव में खुशी का माहौल बन गया है और बुनकर समाज में उत्साह देखने को मिल रहा है.
पीएम की सराहना के बाद बुनकर नवीन कुमार ने कहा कि आज तक किसी ने इतने सीधे और आत्मीय तरीके से हम बुनकरों की बात नहीं की. उन्होंने बताया कि उनका परिवार बचपन से इस पुश्तैनी काम में जुटा है. वे हैंडलूम से सिल्क की शर्टिंग, कुर्ता, साड़ी और ड्रेस मटेरियल बनाते हैं. पहले वे जमीन में गड्ढा बनाकर लगाए जाने वाले 'पिट लूम' से काम करते थे, लेकिन अब वस्त्र मंत्रालय के प्रोजेक्ट के तहत नया 'फ्रेम लूम' मिला है, जिससे छत पर भी काम संभव हो पाया है.
नवीन कुमार ने बताया कि सरकार की योजनाओं के तहत अब बुनकर समुदाय के बच्चे प्रतिष्ठित संस्थान NIFT (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) जैसे संस्थानों में पढ़ने का अवसर पा रहे हैं. इससे उनके हुनर को तकनीकी मजबूती मिल रही है और यह कला भविष्य में भी टिकाऊ बनी रह सकेगी. नेपुरा गांव की बुनकर समिति को भी वस्त्र मंत्रालय की तरफ से बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई है.
हालांकि, नवीन कुमार ने यह भी कहा कि बाजार की कमी और बिक्री की अनिश्चितता के कारण युवा पीढ़ी इस काम से जुड़ने से हिचक रही है. उन्होंने बताया कि उनका कपड़ा बिहार सरकार के उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के माध्यम से दिल्ली और पटना के मॉल तक पहुंचता है, लेकिन पेमेंट तब होता है जब माल बिक जाए. इससे अगली बार के लिए धागा खरीदने और घर चलाने में कठिनाई होती है.
बुनकर कालूराम ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने पहली बार गांव के बुनकरों पर ध्यान दिया. कालूराम ने मांग की कि सरकार बुनकरों के लिए एक स्थायी बाजार की व्यवस्था करे और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार मजदूरी दिलाए. उन्होंने यह भी कहा कि बुनकरों के लिए एक पेंशन योजना होनी चाहिए ताकि वृद्धावस्था में आर्थिक संकट से न जूझना पड़े.
इनपुट- आईएएनएस
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