बिहार के नवादा में डॉ. एस. सिद्धार्थ की एक विशेष यात्रा ने वहां के लोगों का दिल जीत लिया. डॉ. सिद्धार्थ ने नवादा के गोनौरी रामकली टीचर ट्रेनिंग कॉलेज में मगध क्षेत्र के शिक्षकों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना. यह कदम डॉ. सिद्धार्थ की सादगी और समर्पण को दर्शाता है, क्योंकि वह खुद बेंच पर बैठकर शिक्षकों से बात करते हैं. इस संवाद के दौरान, शिक्षकों की तबादले की समस्याओं पर भी चर्चा की गई, और इसके समाधान के लिए सकारात्मक कदम उठाए गए. इसके साथ ही, ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने वाले शिक्षकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया, जो शिक्षा के डिजिटलकरण को बढ़ावा देने वाला कदम था.
डॉ. सिद्धार्थ ने रजहत गांव में स्थित उर्दू विद्यालय का भी दौरा किया. यहां उन्होंने विद्यालय की कक्षाओं, बाथरूम और रसोईघर का निरीक्षण किया, और सब कुछ व्यवस्थित पाया. यह दर्शाता है कि डॉ. सिद्धार्थ सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्हें हर स्तर पर सुविधाओं के हालात पर भी ध्यान है.
डॉ. सिद्धार्थ ने एक मदरसे में बच्चों से मुलाकात की और उन्हें "सलाम वालेकुम" कहकर उनका स्वागत किया. बच्चों ने भी उत्साह से इसका जवाब दिया. यह उनकी सांस्कृतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, क्योंकि उन्होंने बच्चों से जुड़ने का एक सजीव और सम्मानजनक तरीका अपनाया. इस कदम से बच्चों में भी उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ.
पटना लौटते समय, डॉ. सिद्धार्थ ने बख्तियारपुर के पास एक सड़क किनारे स्थित झोपड़ी की दुकान पर लिट्टी-चाय का आनंद लिया. यह न केवल डॉ. सिद्धार्थ की सादगी को दिखाता है, बल्कि उनकी जमीन से जुड़ी छवि को भी प्रकट करता है. इस मौके पर, उन्होंने खुद ही चाय बनाई और लिट्टी भी पकाई, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में डॉ. सिद्धार्थ की सहजता और आम जनता के साथ उनके संबंध को सराहा गया.
यह यात्रा केवल एक शैक्षिक सुधार की पहल नहीं थी, बल्कि डॉ. एस. सिद्धार्थ की मानवीयता और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक भी थी. उनके लिट्टी-चाय वाले वीडियो ने इस यात्रा को एक भावनात्मक मील का पत्थर बना दिया, जो न केवल शिक्षा क्षेत्र में सुधार की बात करता है, बल्कि उनकी सादगी और समाज से जुड़ी भावना को भी उभारता है. स्थानीय लोगों ने डॉ. सिद्धार्थ की इस कार्यशैली की जमकर सराहना की, जो उन्हें पहले कभी इतने करीब से देखने को नहीं मिली थी.
डॉ. एस. सिद्धार्थ की नवादा यात्रा ने यह साबित किया कि एक नेता न केवल अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकता है, बल्कि वह आम जनता से जुड़ने का सही तरीका भी समझ सकता है. उनकी यात्रा ने लोगों के बीच एक सकारात्मक छवि बनाई और उन्हें एक नेता के रूप में देखा जो जनता से गहरा जुड़ाव रखते हैं.
ये भी पढ़ें- झारखंड में साइबर हमला, मंत्री और सत्ताधारी पार्टी के सोशल अकाउंट्स हैक
बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi हर पल की जानकारी. बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!