Nawada News: नवादा में दो साल का प्रेम, समाज की सहमति और स्वजातीय विवाह सब कुछ ठीक था, लेकिन फिर भी एक बेटी का सपना चकनाचूर हो गया. वजह वही पुरानी दहेज. यह घटना बिहार के नवादा जिले के सिरदला थाना क्षेत्र की है, जहां कुशाहन गांव की एक युवती आज भी अपने टूटे सपनों के मलबे में इंसाफ ढूंढ रही है. गया जिले के फरका गांव के युवक से उसका प्रेम संबंध था. दोनों ने चुपचाप सीतामढ़ी मंदिर में विवाह किया और गुजरात चले गए. सोचा था एक नई जिंदगी शुरू करेंगे, लेकिन रविवार को जब लड़की अपने ससुराल पहुंची, तो उसे 'दुल्हन' नहीं, 'बोझ' समझा गया.
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लड़के के घरवालों ने शादी मानने से इनकार कर दिया. साफ कहा- 'दहेज में 10 लाख चाहिए, तभी बहू घर में कदम रखेगी.' दिल टूटने से ज्यादा आत्मसम्मान चूर हुआ. लड़की ने रिश्तेदारों को बुलाया, थाने में गुहार लगाई, और कोर्ट मैरिज की तैयारी की. लेकिन उस रात लड़का चुपचाप भाग गया. पीछे छोड़ गया, धोखे की चुभन और समाज की बेरुखी.
आज वह युवती पूछ रही है, क्या प्यार की भी कीमत होती है? 'क्या बेटियां सिर्फ बोझ हैं?' उसकी आंखों में आंसू हैं, पर हिम्मत भी है. वह अब न्याय चाहती है, सम्मान चाहती है. पुलिस जांच कर रही है, लेकिन सवाल समाज से है, कब तक बेटियां दहेज की सूली पर चढ़ती रहेंगी? कब बदलेगा यह सोच कि प्यार बिकाऊ नहीं होता?
यह कहानी सिर्फ एक लड़की की नहीं, हर उस बेटी की है जो सपने लेकर ससुराल जाती है और लौटती है, टूटे हुए दिल के साथ.
इनपुट- यशवन्त सिन्हा
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