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Bihar Politics: चुनाव से पहले मतदाता सूची संशोधन पर सियासत गरमाई, 18 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल ने EC से जताई आपत्ति

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा पर विपक्षी दलों ने सख्त आपत्ति जताई है. कांग्रेस, राजद, सीपीआई और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने आयोग से मिलकर कहा कि यह फैसला समान अवसर के लोकतांत्रिक सिद्धांत के खिलाफ है.

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बिहार में चुनाव से पहले मतदाता सूची की छंटनी पर बखेड़ा
बिहार में चुनाव से पहले मतदाता सूची की छंटनी पर बखेड़ा
Saurabh Jha|Updated: Jul 03, 2025, 10:52 PM IST
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बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है. कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समेत 'इंडिया' गठबंधन के नेताओं ने बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की. उन्होंने आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) के निर्णय पर गहरी आपत्ति जताई.

दिल्ली स्थित निर्वाचन सदन में पहुंचे 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की. कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि आयोग ने बैठक में केवल हर दल से दो प्रतिनिधियों को आने की अनुमति दी, जिससे वरिष्ठ नेताओं जैसे जयराम रमेश और पवन खेड़ा को बाहर इंतज़ार करना पड़ा. इससे विपक्षी दलों ने असंतोष जताया और प्रक्रिया पर सवाल उठाए.

डॉ. सिंघवी ने बैठक के बाद कहा कि अगर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता थी, तो इसकी घोषणा पहले क्यों नहीं की गई? उन्होंने सवाल उठाया कि जनवरी से लेकर जून तक चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया का कोई संकेत नहीं दिया और अब चुनाव से ठीक पहले यह कदम उठाया जा रहा है. इसे उन्होंने समान अवसर के सिद्धांत का उल्लंघन बताया.

विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार में लगभग 7.75 करोड़ मतदाता हैं और इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का पुनरीक्षण कर पाना बेहद मुश्किल है. खासकर गरीब, वंचित और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग इतने कम समय में सभी जरूरी दस्तावेज कैसे उपलब्ध करा पाएंगे? इस सवाल पर आयोग को कटघरे में खड़ा किया गया.

सिंघवी ने कहा कि पहले कभी मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए इतने दस्तावेज नहीं मांगे गए थे. लेकिन इस बार आयोग ने एक जटिल प्रक्रिया अपनाई है, जिससे हजारों लोग सूची से बाहर हो सकते हैं. उन्होंने इस पूरे कदम को लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने वाला बताया.

विपक्षी दलों ने यह भी आशंका जताई कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीब, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के वोटरों को चुनाव से बाहर करने की साजिश हो सकती है. उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को तुरंत स्थगित किया जाए और सभी दलों को समान अवसर प्रदान किया जाए.

इनपुट- आईएएनएस

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