दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में पिछले दिनों आग लगी थी. आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची तो वहां से पैसों का खजाना बरामद हुआ था. उस समय जज साहब शहर से बाहर गए हुए थे. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस बात का संज्ञान ले लिया और उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया है. आग लगने के बाद लाखों का कैश पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के हॉस्टल से भी बरामद हुआ था. पीएमसीएच के चाणक्या हॉस्टल से फायर ब्रिगेड की टीम को लाखों रुपये के जले हुए नोट, प्रतियोगी परीक्षाओं के एडमिट कार्ड और ओएमआर सीट बरामद किए गए थे. पीएमसीएच के चाणक्या हॉस्टल में आग लगने की घटना 9 जनवरी की है. ये दोनों घटनाएं एक जैसी हैं, लेकिन कार्रवाई दोनों के खिलाफ एक जैसी नहीं की गई.
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पीएमसीएच के हॉस्टल में आग लगने के बाद क्या हुआ?
पीएमसीएच के चाणक्या हॉस्टल से 500 रुपये के जले हुए नोटों के बंडल बरामद किए गए थे. बताया गया कि कुल कैश 2.75 लाख रुपये थे. पटना के पीरबहोर थाने की पुलिस ने बताया कि हॉस्टल प्रशासन ने जानकारी दी थी कि अजय कुमार नाम के एक छात्र ने वह कमरा कब्जा कर रखा था, जहां आग लगी थी. अजय कुमार समस्तीपुर का निवासी है और पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मेडिकल का छात्र है. घटना के बाद से अजय कुमार फरार था, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. अजय कुमार के खिलाफ पीएमसीएच के प्रिंसिपल की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था. जले नोटों और एडमिट कार्ड के अलावा ओएमआर शीट की बरामदगी के बाद पुलिस पेपर लीक से जोड़कर इस घटना को देख रही है.
आग लगने और नकदी के अलावा एडमिट कार्ड और ओएमआर शीट बरामद होने के 14वें दिन यानी 23 जनवरी, 2025 को पटना पुलिस ने अजय कुमार को धर दबोचा. पुलिस को सूचना मिली थी कि डॉक्टर अजय पीएमसीएच में काउंसिलिंग फॉर्म जमा करने आने वाला है. इसके बाद पीएमसीएच के हथआ वार्ड के चारों ओर सादे लिबास में पुलिसवाले तैनात कर दिए गए थे. जैसे ही अजय कुमार ने सीढ़ियों से नीचे उतरने की कोशिश की, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. अजय कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने वैशाली और मुजफ्फरपुर में रेड भी डाली थी. अजय ने पटना सिविल कोर्ट में जमानत के लिए याचिका भी डाली थी, लेकिन पुलिस की सतर्कता के चलते वह बच नहीं पाए.
दिल्ली हाई कोर्ट के जज के घर आग लगने के बाद क्या हुआ?
जैसे ही दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से रुपयों का खजाना मिलने की खबर मिली, सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका ट्रांसफर कर दिया. अब जस्टिस यशवंत वर्मा इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज होंगे. बताया जा रहा है कि आग लगने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी गई. आग बुझाने के बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने नुकसान का आकलन करने के लिए छानबीन शुरू की, जहां भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई. इसके बाद रिकॉर्ड में पैसों का खजाना मिलने की बात कही गई. पुलिस ने आला अफसरों को इस बारे में बताया और फिर यह बात सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तक पहुंच गई. सीजेआई ने तत्काल कार्रवाई के लिए कॉलेजियम की बैठक बुला ली और जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली से बाहर करने पर सहमति बन गई.
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बताया जा रहा है कि कॉलेजियम में इस बात पर चर्चा हुई कि केवल तबादला करके छोड़ दिया जाता है तो इससे न्यायपालिका पर सवाल उठेंगे और लोगों का विश्वास भी खतरे में पड़ सकता है. बता दें कि 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के मामलों से निपटने के लिए आंतरिक प्रक्रिया बनाई थी. इसके मुताबिक, भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर सीजेआई जज से जवाब तलब करेंगे और जवाब से संतुष्ट न होने की स्थिति में गहन जांच होगी. जांच के लिए आंतरिक समिति गठित की जाएगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक और अन्य हाई कोर्ट के 2 मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे. उनकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई का फैसला सीजेआई करेंगे.