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IAS Harjot Kaur से छात्रा ने की फ्री Sanitary Pad की मांग, अधिकारी ने दिया ऐसा जवाब

IAS Harjot Kaur: किशोरियों के लिए आयोजित एक वर्कशॉप में एक लेडी IAS अधिकारी की बातों ने सभी को हैरानी में डाल दिया. उन्होंने कहा कि अंत में जब परिवार नियोजन की बात आएगी तो निरोध भी मुफ्त में भी देना पड़ेगा. 

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Amita Kishor|Updated: Sep 29, 2022, 05:21 PM IST
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पटना: Sanitary Pad: बिहार में एक छात्रा ने अफसर से फ्री सैनिटरी पैड की मांग क्या कर दी, आसमान टूट पड़ा. सामने बैठी अफसर ने कहा-कल कंडोम भी मांगोगी? लेकिन अफसर का ये जवाब बेवकूफी भरा है. क्यों और कैसे? 

पटना में कार्यक्रम था-'सशक्त बेटी, समृद्ध बिहार'. अफसरों और स्टूडेंट के बीच बातचीत चल रही थी. तभी एक छात्रा ने सवाल पूछा कि स्कूल में फ्री पैड क्यों नहीं मिलता? महिला विकास निगम की एमडी हरजोत कौन ने जो जवाब दिया वो हैरान करने वाला था. 

कौर ने कहा, '20-30 रुपये का सैनिटरी पैड दे सकते हैं. कल को जींस-पैंट दे सकते हैं. परसों सुंदर जूते क्यों नहीं दे सकते हैं?  इसके बाद उन्होंने कहा कि अंत में जब परिवार नियोजन की बात आएगी तो निरोध भी मुफ्त में भी देना पड़ेगा. 

जाहिर है ये जवाब अटपटा और अनावश्यक था. मैडम को अगर जानकारी न हो तो बता दें कि स्कॉटलैंड से लेकर केन्या जैसे गरीब देशों में भी ऐसी सुविधा लड़कियों को मिलती है. खुद भारत सरकार ने ऐसी योजना चला रखी है कि स्कूलों में लड़कियों को हर महीने लगभग मुफ्त पैड मिले. एक रुपए में एक. 

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश
इसी जुलाई में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली सरकार को स्कूलों में लगभग मुफ्त पैड (Free Sanitary Pad) वितरित करने की हिदायत दी है. पंजाब में स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त सैनिटरी पैड वितरित करने की योजना चल रही है.  लेकिन ये जरूरी क्यों है? शायद ये डेटा सुनकर अफसर साहिबा अपने विचार बदलें. 

हर साल 2.3 करोड़ बच्चियां छोड़ रही स्कूल
दुनिया में हर साल 8 लाख महिलाओं की मौत पानी की कमी, साफ-सफाई की कमी के कारण होती है. महिलाओं की मौत का ये पांचवा बड़ा कारण है. भारत में हर साल 2.3 करोड़ बच्चियां स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं कि क्योंकि पीरियड्स के दौरान उन्हें दिक्कत होती है. स्कूल में पूरी सुविधाएं नहीं मिलती. 

मैडम जाहिर सी बात है कि पैड की मांग की तुलना किसी लग्जरी या रुपये पैसे की लालच से नहीं की जा सकती है. 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' का नारा तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक आप लड़कियों की ये समस्या नहीं समझेंगी. 

कैसे समृद्ध बनेगा बिहार?
खासकर बिहार जैसे राज्य में जहां गरीबी ज्यादा है. जहां सुरक्षित पैड खरीदना अक्सर गरीब लड़कियों के बस की बात नहीं है. ये सुविधा दिए बिना आप बेटियों को सशक्त नहीं बना सकतीं और बेटियां सशक्त नहीं होंगी तो बिहार समृद्ध नहीं बनेगा. 

पीरियड लीव के लिए आंदोलन
अफसोस है कि ये 'कंडोम कांड' उस बिहार में हुआ है, जहां की महिलाओं ने पीरियड लीव (Period Leave) के लिए आंदोलन चलाया और बिहार को पहला ऐसा राज्य बनाया जहां महिलाओं को दो दिन का पीरियड लीव मिला. 

बात 1991 की है जब बिहार की महिलाओं ने पीरियड लीव के लिए आंदोलन किया था. तब लालू यादव (Lalu Yadav) सीएम थे. महिलाओं की मांग को उन्होंने स्वीकार किया. बिहार की देखादेखी देश में आज कई बड़ी कंपनियां पीरियड लीव दे रही हैं.

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