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Happy Vinayaka Chaturthi: गणेश जी की सबसे पहले क्यों होती है पूजा, सूंड दाहिनी या बाईं ओर होने के क्या हैं मायने, जानें कौनसी प्रतिमा आपके लिए शुभ?

Ganesh Chaturthi Wishes: सिद्धि विनायक की पूजा करते समय भक्त को रेशमी कपड़े पहनने चाहिए और सुबह-शाम नियम से पूजा करनी होती है. सूती कपड़े पहनकर पूजा नहीं की जा सकती. इस पूजा को पंडित या पुरोहित से कराना सही माना जाता है. भक्त को जनेऊ पहनकर उपवास भी रखना पड़ता है और इस दौरान किसी के घर भोजन करने नहीं जाना चाहिए.  

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Happy Vinayaka Chaturthi: गणेश जी की सबसे पहले क्यों होती है पूजा, सूंड दाहिनी या बाईं ओर होने के क्या हैं मायने, जानें कौनसी प्रतिमा आपके लिए शुभ?
Happy Vinayaka Chaturthi: गणेश जी की सबसे पहले क्यों होती है पूजा, सूंड दाहिनी या बाईं ओर होने के क्या हैं मायने, जानें कौनसी प्रतिमा आपके लिए शुभ?
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Sep 07, 2024, 01:28 PM IST
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Ganpati Bappa Morya: गणेश उत्सव के समय हर जगह भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. कुछ लोग घर में पूजा करते हैं तो कुछ सार्वजनिक स्थानों पर. इस दौरान एक खास सवाल अक्सर मन में आता है - भगवान गणेश की सूंड किस ओर होनी चाहिए और मूर्ति खड़ी होनी चाहिए या बैठी हुई? इसके अलावा मूषक (चूहा) और रिद्धि-सिद्धि के साथ भगवान गणेश की मूर्ति का होना कितना जरूरी है.

आचार्य मदन मोहन के अनुसार भगवान गणेश की सूंड चाहे दाईं ओर हो या बाईं ओर दोनों ही शुभ मानी जाती हैं. दाईं सूंड वाले गणेश को "सिद्धि विनायक" कहा जाता है, जबकि बाईं सूंड वाले गणेश "वक्रतुंड" कहलाते हैं. दोनों ही मूर्तियों की पूजा का तरीका अलग-अलग होता है. दाईं सूंड वाले गणेशजी (सिद्धि विनायक): यदि गणेश जी की सूंड दाईं ओर है तो उनकी पूजा में विशेष नियम होते हैं. पूजा करते समय भक्त को रेशमी वस्त्र पहनने चाहिए, सूती कपड़े पहनकर पूजा नहीं की जा सकती. इस दौरान नियमपूर्वक सुबह-शाम पूजा करनी होती है और उपवास रखना होता है. ऐसे गणेशजी की पूजा पंडित या पुरोहित द्वारा कराना शुभ माना जाता है. इसके अलावा, इस दौरान किसी के घर भोजन करने भी नहीं जाना चाहिए.

बाईं सूंड वाले गणेशजी (वक्रतुंड): अगर गणेश जी की सूंड बाईं ओर हो तो उनकी पूजा सरल मानी जाती है. ऐसे गणेश जी की पूजा में बहुत ज्यादा नियम-कायदों की जरूरत नहीं होती. सामान्य रूप से हार-फूल, प्रसाद चढ़ाकर और आरती करके पूजा की जा सकती है. इस पूजा के लिए किसी पंडित की आवश्यकता भी नहीं होती.

गणेशजी की बैठी या खड़ी मूर्ति: शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति बैठी हुई होनी चाहिए, क्योंकि प्राण-प्रतिष्ठा भी बैठकर ही की जाती है. खड़ी मूर्ति की पूजा खड़े होकर करनी पड़ती है, जो शास्त्रों के अनुसार सही नहीं है. बैठी हुई मूर्ति की पूजा करने से बुद्धि स्थिर रहती है.

मूषक और रिद्धि-सिद्धि का महत्व: गणेश जी की मूर्ति के साथ मूषक और रिद्धि-सिद्धि का होना भी शुभ माना जाता है. मूषक को तर्कहीनता का प्रतीक माना जाता है, जिसे गणेश जी ने अपने वाहन के रूप में दबा रखा है. रिद्धि-सिद्धि गणेश जी के साथ होती हैं, जिससे सुख-समृद्धि मिलती है.

मिट्टी की मूर्ति सर्वश्रेष्ठ: शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की मूर्ति मिट्टी की होनी चाहिए क्योंकि मिट्टी का पूजा में विशेष महत्व होता है.

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