India Pakistan Tension: युद्ध यानी तनाव की अति और सहनशीलता की हद का टूट जाना. वैसे तो कई और तात्कालिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक कारण होते हैं युद्ध के लिए, लेकिन युद्ध तभी होता है, जब एक पक्ष अति पर उतर आए और दूसरे पक्ष के धैर्य की सीमा खत्म हो जाए. भारत के साथ आज ऐसे ही हो रहा है. भारत सहनशीलता की पराकाष्ठा को पार कर गया है और पाकिस्तान नीचता की हदों को तोड़ते हुए नए नए हद बना रहा है और उन्हें भी बारंबार तोड़ रहा है. खैर, युद्ध (India-Pakistan War) की संभावना लगातार जताई जा रही है. कुछ लोग इसकी भयावहता का अंदाजा लगा रहे हैं और लगातार इसके खिलाफ चेता रहे हैं तो कुछ लोग इसे अवश्यंभावी मानकर चल रहे हैं. सभी के पास अपने अपने तर्क हैं और होना भी चाहिए. युद्ध होगा तो क्या क्या होगा, यह सवाल सभी के जेहन में चल रहे हैं. सवाल यह भी है कि क्या आपने युद्ध को देखा है? यह सवाल आज के समय में ऐसे ही है कि कल किसने देखा है?
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21वीं सदी में तो भारत ने कोई युद्ध लड़ा ही नहीं है. कारगिल का संग्राम अंतिम युद्ध कहा जा सकता है. हालांकि वह भी अपने आप में पूर्ण युद्ध नहीं था. इसे मिनी युद्ध कहा जाता है, क्योंकि यह लड़ाई एक खास इलाके में ही सीमित रही थी. भले ही आर्थिक और राजनीतिक रूप से इसका असर बहुत व्यापक रहा था, लेकिन इसे पूर्णकालिक लड़ाई नहीं माना जाता है. इस लिहाज से भारत ने अपनी अंतिम लड़ाई 1971 ई. में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ी थी, जब बांग्लादेश का जन्म हुआ था.
1971 की लड़ाई जिसे याद होगी, वह उस समय 10 साल से अधिक उम्र का रहा होगा. अगर उस समय कोई 10 साल का रहा होगा तो आज उसकी उम्र 64 साल हो गई होगी. एक अनुमान के अनुसार, भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में 6.9 करोड़ लोग 64 साल के या फिर इससे अधिक उम्र के हो सकते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि इन सभी को भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 ई. का अंतिम युद्ध याद होगा. किसी को कम और किसी को अच्छे तरीके से युद्ध के दिन याद आते होंगे.
उनलोगों को यह भी याद होगा कि कैसे लड़ाई के समय की तैयारियां होती हैं? सायरन बजता था, जिसका जिक्र आजकल चाय की चुस्कियों के साथ घरों में हो रहा है. बुजुर्ग लोग बताते हैं कि कैसे युद्ध के समय में रेल के जरिए सेना को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है. कैसे हथियारों की आपूर्ति की जाती है. कैसे सभी सुरक्षाबलों को अलर्ट मोड में रखा जाता है. इसमें कोई दोराय नहीं कि 1971 ई. और 2025 ई. के बीच आधा से अधिक दशक यानी 54 साल बीत चुके हैं.
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तब लड़ाई के स्वरूप कुछ और थे और अब इसे अलग रूप में देखा जा सकता है. आज के समय में केवल सेना लड़ाई नहीं लड़ती है. आज की लड़ाई गोला और बारूद के साथ साथ इंफॉर्मेशन वॉर, सोशल मीडिया वॉर, फेक न्यूज वॉर, लॉबिंग वॉर, नैरेटिव वॉर, टेक्नोलॉजी वॉर के रूप में पहले से चल रही है. उसके बाद नदियों का पानी बंद करने का ऐलान भी किसी युद्ध से कम नहीं है. पाकिस्तान भी खुलेआम इस बात को स्वीकार कर चुका है. ऐसे में ये कहना कि युद्ध होने वाला है, तकनीकी रूप से गलत है.
भारत और पाकिस्तान के बीच केवल गोला बारूद और मिलिट्री वॉर शुरू नहीं हुआ है. बाकी सब हो रहा है. भारत की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. बैठकों का दौर चल रहा है. 7 मई की शाम को युद्ध की मॉकड्रिल करने के आदेश दिए गए हैं. इस दौरान युद्ध वाला सायरन बजेगा और बिजली गुल हो जाएगी. चारों तरफ अंधेरा पसर जाएगा. लड़ाई चाहे कितनी भी अत्याधुनिक तकनीक से लड़ी जाए, लेकिन सायरन बजना और बिजली का गुल होना पुराना तरीका ही है. इसमें कोई दोराय नहीं कि सायरन अत्याधुनिक होगा.
महाभारतकाल में जब कुरुक्षेत्र में लड़ाई शुरू हुई थी, उससे पहले पांचजन्य फूंककर उसका आगाज किया गया था. आज के आधुनिकतम जमाने में हो सकता है कि इसका स्वरूप कुछ और हो, यह देखा जाना चाहिए कि आज लड़ाई का आगाज कैसे होता है. 140 करोड़ भारतीयों में से केवल 6.9 करोड़ ने युद्ध को देखा है. आज जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है तो उनकी आंखों के सामने वो सीन बरबस ही चल पड़ता होगा और वे अगली पीढ़ी को उन दिनों की कहानी जरूर सुना रहे होंगे.
जिन लोगों की पैदाइश कारगिल युद्ध के बाद के दिनों में हुई होगी और अब वे बालिग हुए होंगे, उनको तो कारगिल युद्ध के बारे में भी नहीं पता होगा. उनके घरवाले उनको कारगिल युद्ध के बारे में बताते होंगे. देश में ऐसे लोगों की संख्या अनुमानत: 12.54 करोड़ है. मतलब यह कि आज की तारीख में देश के 134 करोड़ लोगों ने भारत पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध नहीं देखा है और 12.54 करोड़ लोगों ने तो कारगिल का युद्ध भी नहीं देखा है.
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देश के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री के साथ साथ पीएम नरेंद्र मोदी खुलकर यह बोल चुके हैं कि पहलगाम के हत्यारों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा दी जाएगी और उनके मददगारों को भी नहीं बख्शा जाएगा. जाहिर सी बात है कि कुछ होने वाला है. कुछ बड़ा होने वाला है. सेना को खुली छूट दी गई है. सेना के तीनों अंग हाई अलर्ट पर हैं. युद्ध वाला मॉकड्रिल कल होने जा रहा है. इसमें यह परखा जाएगा कि हम कितने तैयार हैं.
पीएम मोदी के साथ रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, एनएसए, सीडीएस, सेना, सुरक्षा सलाहकार बोर्ड, कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी की लगातार बैठकें हो रही हैं. प्रधानमंत्री को पल पल के डेवलपमेंट की जानकारी दी जा रही है. रणनीतियां बन रही हैं. टारगेट सेट हो रहे हैं. युद्ध के स्वरूप तय हो रहे हैं. सेना की हथियार फैक्ट्रियों में छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. सभी मिलिट्री, एयर और नेवी बेस को अलर्ट मोड में रखा गया है. इंतजार है उस समय का, उस घड़ी का, जिसके बारे में पता तो नहीं है लेकिन ऐसा लग रहा है कि वो पल करीब आ रहा है... बहुत करीब.