War Chanakya Niti: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में सैन्य टकराव तेज हुआ है. भारत ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया है, वहीं पाकिस्तान ने इन हमलों को नागरिकों पर हमला बताया है. आतंकवादी संगठन TRF द्वारा हाल ही में कश्मीर में हुए हमले के बाद यह कार्रवाई हुई. इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है.
भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई को चाणक्य की उस नीति से जोड़ा जा सकता है, जिसमें वे कहते हैं कि शत्रु, ऋण और रोग को समय रहते ही समाप्त कर देना चाहिए.
"ऋणं शत्रुं रोगं चैव क्षणेनैव न नाशयेत्."
यह सिद्धांत बताता है कि किसी भी खतरे को बढ़ने से पहले ही समाप्त कर देना बुद्धिमानी है. भारत ने आतंकवादी हमले के जवाब में यही दृष्टिकोण अपनाया है.
"युद्धे बलम् विचार्यैव कर्तव्यं न हि मूढवत्."
युद्ध करने से पहले अपनी और शत्रु की शक्ति का सही मूल्यांकन करना चाहिए. चाणक्य भी युद्ध को अंतिम उपाय मानते थे और वे सलाह देते थे कि जब तक कूटनीति, संधि या अन्य उपाय संभव हों, तब तक युद्ध से बचना चाहिए. भारत की यह सोच चाणक्य की दूरदर्शी नीति के अनुरूप है. भारत ने भी पाकिस्तान की शक्ति संतुलन और उसके संभावित परिणामों का गहन मूल्यांकन किया है.
"गुप्तं रहस्यं रक्षेच्च, नीति कार्यं सदा न खुलावे."
चाणक्य कहते हैं कि राजनीति और योजना को गुप्त रखना ही सफल रणनीति है, और शत्रु को कभी अपनी योजना का आभास नहीं देना चाहिए. भारत भी इस नीति के अनुरूप सतर्कता बरत रहा है और पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए हर कदम सावधानी से उठा रहा है. यही कारण है कि कल हुए सभी हमलों को भारत ने सफलतापूर्वक निष्प्रभावी कर दिया.
"शत्रोः मित्रं भवेत् मित्रं, मित्रस्य च मित्रम् भवेत्."
शत्रु के मित्र को भी मित्र बनाना चाहिए. चाणक्य की यह नीति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. वे मानते थे कि शत्रु की शक्ति को उसकी मित्रता को तोड़कर कमजोर किया जा सकता है. भारत भी इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रहा है और अपने कूटनीतिक नेटवर्क को मजबूत बनाकर पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति को चुनौती देने का प्रयास कर रहा है.
"विजिगीषु यो राजा स्यान्नित्यं युद्धं न चिन्तयेत्."
जो विजय की आकांक्षा रखता है, उसे हर समय युद्ध की सोच नहीं रखनी चाहिए. चाणक्य के अनुसार, विजिगीषु को अपनी और शत्रु की स्थिति का आकलन कर यह तय करना चाहिए कि युद्ध उचित है या शांति. इसी सिद्धांत को अपनाते हुए भारत ने पूर्ण युद्ध की घोषणा नहीं की है. एक जिम्मेदार राष्ट्र होने के नाते भारत केवल आतंकियों को निशाना बना रहा है और दुश्मन देश की आम जनता को नुकसान पहुंचाने से बच रहा है. इसके विपरीत, पाकिस्तान ने कल भारत के आबादी वाले इलाकों पर हमला कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है.
भारत-पाक तनाव की इस घड़ी में यह स्पष्ट होता है कि चाणक्य की विरासत आज भी आधुनिक युद्धनीति में पूरी तरह प्रासंगिक है. उनकी कूटनीति, रणनीति और समय के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता आज की परिस्थिति में भी मार्गदर्शक बनी हुई है. हमें न केवल अपनी सेना पर गर्व होना चाहिए, जो हर मोर्चे पर सतर्क और सक्षम है, बल्कि उस महान चाणक्य की विरासत पर भी गर्व करना चाहिए, जिसने हजारों वर्ष पहले ऐसी दूरदर्शी नीतियां दीं जो आज भी राष्ट्र की रक्षा में सहायक हैं.
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