Kanya Pujan: नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन की खास परंपरा है. यह माना जाता है कि कन्या पूजन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. कन्या को देवी दुर्गा का ही रूप माना जाता है, इसलिए उन्हें आदरपूर्वक पूजा जाता है.
आचार्य मदन मोहन ने बताया कि नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि बहुत शुभ मानी जाती है और इस दिन कन्या पूजन, व्रत और हवन का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष अष्टमी और नवमी दोनों तिथियां एक ही दिन, 11 अक्टूबर को पड़ रही हैं. पंडित जी ने यह भी कहा कि कन्या पूजन के बाद उन्हें खाली हाथ विदा नहीं करना चाहिए. दक्षिणा और उपहार देकर ही कन्याओं को विदा करना चाहिए, जिससे माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है.
उन्होंने बताया कि कन्याओं को विदा करते समय तीन चीजें देना शुभ होता है. पहली चीज है चांदी का सिक्का, जिस पर माता दुर्गा की तस्वीर अंकित हो. इससे माता दुर्गा और कन्याएं दोनों प्रसन्न होती हैं. दूसरी चीज है लाल वस्त्र, जैसे साड़ी या लहंगा, और उस वस्त्र के साथ चुनरी भी होनी चाहिए. ऐसा करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. तीसरी चीज है श्रृंगार का सामान, जो माता दुर्गा को भी अर्पित किया जाता है. इसे कन्याओं को देकर विदा करने से घर में कभी आर्थिक तंगी नहीं होती और सुख-समृद्धि बढ़ती है. आखिर में, जब कन्याओं को विदा करें, तो उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. तभी पूजा पूरी मानी जाती है और इसका फल मिलता है.
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