Operation Sindoor: बीती 6 मई की देर रात भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और निर्दोष नागरिकों की हत्या का बदला पाकिस्तान से ऑपरेशन सिंदूर के तहत लिया. जिसके बाद से ऑपरेशन सिंदूर सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है और इसको लेकर सांस्कृतिक चर्चाएं भी तेज हो गई है. ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं कि हमारे देश में सिंदूर का क्या महत्व है. सुहागिन महिलाओं के जीवन में सिंदूर का क्या स्थान है. क्यों ये हमारे देश में आस्था, विश्वास और विजय तिलक का प्रतीक है. इसके साथ ही इसे कैसे बनाया जाता है. पूरा जानने के लिए अंत तक जरूर से बने रहें.
सिंदूर का सुहागिन महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. ये महिलाओं के लिए उनके सुहागिन होने की निशानी है. सिंदूर सुहागिन महिलाओं के लिए उनके 16 श्रृंगारों में से एक है.
हमारे देश में सिंदूर महिलाओं द्वारा सदियों से लगाया जा रहा है. ये सिर्फ महिलाओं के लिए उनके मांग की सोभा नहीं बल्कि वीरों के लिए विजय तिलक भी है. सनातन धर्म में इसका इस्तेमाल पूजा में देवी-देवताओं को लगाने के लिए भी किया जाता है.
सिंदूर लगाना काफी शुभ होता है. बता दें कि सिंदूर का पेड़ होता है, जिसे कुमकुम ट्री या कैमेलिया ट्री के नाम से जाना जाता है. सिंदूर के पेड़ पर फल गुच्छों में उगता है, फल के अंदर छोटे-छोटे बीज होते हैं, जिसे पीसकर सिंदूर तैयार किया जाता है.
हालांकि, आज के समय केमिकल युक्त आर्टिफिशियल सिंदूर मार्केट में मिलने लगा है. जो कि महिलाओं के स्कैल्प के लिए काफी हानिकारक होता है. केमिकल युक्त सिंदूर को मांग में लगाने से बाल झड़ने की समस्या शुरू हो जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाओं के मांग में सिंदूर लगाने से उन्हें माता सती और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि सबसे पहले माता पार्वती के मांग में सिंदूर भगवान शिव ने विवाह के समय भरा था. जिसके बाद से सुहागिन महिलाओं द्वारा मांग में हमेशा सिंदूर लगाए रखने की परंपरा शुरू हो गई.