पटना: दिन- 17 जुलाई, 2000. घटना- पटना विमान हादसा. वह हादसा मुख्यमंत्री निवास के पास ही गर्दनीबाग इलाके में हुआ था. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी इस घटना से स्तब्ध थीं और बदहवास हो चली थीं. एकदम तेज धमाका सा हुआ और आसपास के लोग जहां तहां भागने लगे. थोड़ी देर में भीड़ जमा हो गई. तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी वहां पहुंच गईं. ऐसा लग रहा था कि वो अभी सोकर उठी हों. उनके बाल बिखरे हुए थे और चेहरे पर दहशत साफ दिख रही थी. भीड़ तक पहुंचते पहुंचते वह रोने लगी थीं. काफी बेचैन लग रही थीं वो. उस समय के प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद अशरफ उसी भीड़ का हिस्सा थे. अहमदाबाद हादसे के बाद उन्होंने पटना हादसे के बारे में ये जानकारी दी. मोहम्मद अशरफ ने बताया कि वह उस समय गोलंबर के पास चाय पी रहे थे. पटना विमान हादसे में 66 लोगों की जान चली गई थी. इसके ठीक 25 साल बाद अहमदाबाद में बड़ा विमान हादसा हुआ है, जिसमें 241 लोगों की जान चली गई है.
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17 जुलाई, 2000 को कोलकाता से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के बाद एलायंस एयर का एक विमान पटना एयरपोर्ट पर लैंड करने से पहले गर्दनीबाग में गिर गया था. वह हादसा सुबह 7 बजे से साढ़े 7 बजे के बीच हुआ था. 25 साल पहले हुए हादसे में 66 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी थी.
उस समय वहां सरकारी आवास थे, लेकिन अब वहां कमला नेहरू उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय है. प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद अशरफ बताते हैं कि एलायंस एयर का विमान एक पेड़ से टकराने के बाद नीचे गिर गया था और दो भागों में बंट गया था. विमान का एक भाग अभी के कमला नेहरू विद्यालय के कैंपस में गिरा था और दूसरा भाग सड़क की दूसरे तरफ. पूरा इलाका धुआं से भर गया था.
अशरफ का कहना है कि पटना में विमान गिरते ही तेज धमाका हुआ और आग लग गई. कुछ देर तक तो स्थानीय लोग दहशत में रहे, लेकिन जब मलबे की आग का गुबार कम हुआ, तब लोग जुटने लगे थे. तब मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी वहां पहुंची थीं. उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि वह सोते से उठकर भागकर आई हैं. आते ही राबड़ी देवी रोने लगी थीं.
तभी भीड़ में से किसी ने कहा, अब ब्लास्ट होगा... उसके बाद थोड़ी भगदड़ भी मची. अशरफ ने बताया कि 2 लोगों को मैंने देखा था कुर्सी पर बैठे हुए, जिन्हें काफी चोटें आई थीं. जहां पर विमान गिरा था, वहां उस समय ऑफीसर्स फ्लैट थे और आसपास के इलाके में गाय भैंस का खटाल था. सुबह का समय था तो लोग भी काफी संख्या में वहां जमा थे.
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स्थानीय लोगों के सहयोग से पुलिस और प्रशासन की टीम ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया, जिसमें से एक लड़की को निकाला गया था. तब वह डर से कांप रही थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह सावन का महीना था और शायद सोमवार का दिन था.