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Ramayan Amazing Facts: लंका से पहले बिहार में रावण को हरा चुके हैं भगवान राम, वाल्मिकि रामायण में भी है जिक्र

Ramayan Amazing Facts: भगवान राम औऱ रावण युद्ध के बीच लंका युद्ध के बार में तो हर कोई जानता है. लेकिन आज हम आपको लंका से पहले एक ऐसे युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां भगवान राम को जीत मिली थी.

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राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Nishant Bharti|Updated: Oct 10, 2024, 06:11 PM IST
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पटना: रामायण में राम और रावण के बीच युद्ध के बारे में हर कोई जानता है. इस युद्ध में भगवान राम की वानर सेना और रावण की सेना के बीच 87 दिनों तक लंबा युद्ध चला था. वहीं लगातार 8 दिन के युद्ध के बाद राम ने रावण का वध किया था.तब अश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान राम और रावण के बीच जो युद्ध शुरू हुआ वो दशमी के दिन रावण के वध के साथ खत्म हुआ. इस युद्ध में रावण के हार की कहानी तो सबको पता है लेकिन क्या आपको पता है लंका में हुए इस युद्ध से पहले भी भगवान राम रावण को हरा चुके थे. तब भी दोनों का जब सामना हुआ था तो इसकी वजह माता सीता ही थी. लेकिन इस युद्ध में ना तो किसी मृत्यू हुई थी और ना ही किसी का खून बहा था. इसके बावजूद भगवान राम को जीत मिली थी.

दरअसल सीता माता की शादी के लिए उनके पिता मिथिलानरेश राजा जनक ने स्वयंवर का आयोजन किया था. इस स्यंवर में ये शर्त रखा गया था कि सीता माता की विवाश उसी से होगा जो भगवान शिव के धनुष को उठा सके. इस स्वयंवर में तब भगवान राण और लक्ष्मण के साथ साथ रावण औऱ कई बड़े-बड़े राजाओं व राजकुमार शामिल हुए थे. रावण तब इतना बलाशाली था कि उसने भगवान शिव के निवास स्थान कैलास पर्वत को ही एक बार उठा लिया था. ऐसे में वो स्वयंवर में काफी उत्साह और घमंड के साथ शामिल हुआ था. इसके बाद जब रावण की धनुष उठाने की बारी आई तो वो भगवान शिव के धनुष को हिला तक नहीं पाया था. तब ये देखकर वहां मौजूद हर कोई अचंभित हो गया था.

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वहीं जब भगवान राम की धनुष उठाने की बारी आई तो उन्होंने बड़े ही आसानी से उस धुनष को उठा लिया और उसे तोड़ दिया. रामचरितमानस में इस बात का उल्लेख एक चौपाई में किया गया है कि सीता स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को कौन उठा सकता था. दरअसल शिव का धनुष वही उठा सकता था जो अहंकार से दूर हो, स्वभाव से दयालु, कृपालु और मृदुभाषी हो. इसके लिए बलशाली होने की जरुरत नहीं थी ब्कि प्रेम की आवश्यकता थी.

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