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Bihar News: बिहार के बिल्डरों पर RERA सख्त, निर्धारित समय सीमा पर फ्लैट नहीं कराया उपलब्ध तो बिल्डर को भरना पड़ेगा जुर्माना

Bihar Builders: बिहार भू संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी रेरा को काफी ज्यादा शिकायत मिलती है कि उन्हें बिल्डर ने तय समय सीमा में फ्लैट नहीं दिया. जिसके चलते अब रेरा ने बिल्डरों पर लगाम लगाने के लिए जुर्माना के जरिए शिकंजा कसने का निर्णय लिया है.

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Bihar News: बिहार के बिल्डरों पर RERA सख्त, निर्धारित समय सीमा पर फ्लैट नहीं कराया उपलब्ध तो बिल्डर को भरना पड़ेगा जुर्माना
Bihar News: बिहार के बिल्डरों पर RERA सख्त, निर्धारित समय सीमा पर फ्लैट नहीं कराया उपलब्ध तो बिल्डर को भरना पड़ेगा जुर्माना
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Aug 30, 2024, 04:03 PM IST
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पटनाः Bihar Builders: बिहार में निर्धारित समय सीमा पर फ्लैट नहीं उपलब्ध कराया तो बिल्डर को जुर्माना भरना पड़ेगा. बिहार भू संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी रेरा ने प्रोजेक्ट में देरी होने पर बिल्डरों पर जुर्माना के जरिए शिकंजा कसने का निर्णय लिया है. बिल्डरों का कहना है कि ग्राहकों का हित सर्वोपरि है, लेकिन जुर्माना या दूसरा कोई दंड व्यवहारिक होना चाहिए. रेरा को शिकायत मिलती है. जिसमें ज्यादातर मामला समय से किए गए वादे के अनुसार ग्राहकों को बिल्डर फ्लैट उपलब्ध नहीं करा पाते हैं. 

वहीं अब रेरा ने बिल्डरों पर शिकंजा कसने के लिए जुर्माना का प्रावधान किया है. छह से दस माह की अवधि देर होने पर 10 लाख का जुर्माना देना होगा और एक वर्ष से ज्यादा देर होने पर 20 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा. इसके अतिरिक्त बिल्डर और प्रमोटर्स पर लगाम लगाने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं. बिल्डर्स को प्रत्येक तीन महीने पर प्रगति रिपोर्ट जियो टैग तस्वीर के साथ देनी होगी.

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वहीं प्रगति रिपोर्ट में 15 दिन की देरी होने पर 10 हजार रुपए का विलंब शुल्क, 16 से 30 दिन की देरी होने पर 30 हजार का शुल्क और 60 दिन से अधिक की देरी पर 75 हजार का विलंब शुल्क, 60 दिन से अधिक की देरी होने पर दो लाख रुपए का जुर्माना देना होगा.  

नगर विकास और आवास मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि ग्राहकों का हित ध्यान में रखना सरकार का दायित्व है, लेकिन बिल्डरों का हित भी सरकार देखेगी. बिहार में 1725 संबंधित प्रोजेक्ट में 600 समय पर पूरे हुए बाकी में देर हुई. बिल्डर का कहना है कि कभी बालू समय से उपलब्ध न होना, कभी मजदूरों की समस्या जैसे व्यवहारिक कारण से उन्हें दो चार होना पड़ता है, रेरा जुर्माना लगाए, लेकिन जुर्माना की राशि व्यवहारिक होना चाहिए और वाजिब कारण को भी देखना चाहिए. 

रेरा के अनुसार प्रोजेक्ट में देरी का असर बिल्डरों की रैंकिंग पर भी पड़ेगा. तीन महीने में जारी होने वाले रैंकिंग में इन मानकों के अनुसार नंबर दिए जाए. जिसे रिपोर्ट के तौर पर वेबसाइट पर डाला जाएगा. आमतौर पर देखा गया है कि बिल्डर प्रोजेक्ट पूरा करने में पांच-पांच वर्ष की देरी लगाते हैं और इसमें ग्राहकों को मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ता है. अब रेरा ने इस पर लगाम लगाना शुरू किया है.

इनपुट- रजनीश, पटना

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