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Vastu Tips: परिवार में अचानक बीमारियों का बढ़ना वास्तु दोष का संकेत, इस तरह करें बचाव

Vastu Shastra: दीवारों का रंग करवाते समय ध्यान रखना बहुत जरूरी है. काला या गहरा नीला रंग वायु रोग, पेट में गैस और हाथ-पैरों में दर्द जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है. वहीं, नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है और गहरा लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है.

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Vastu Tips: परिवार में अचानक बीमारियों का बढ़ना वास्तु दोष का संकेत, इस तरह करें बचाव
Vastu Tips: परिवार में अचानक बीमारियों का बढ़ना वास्तु दोष का संकेत, इस तरह करें बचाव
Zee Bihar-Jharkhand Web Team|Updated: Oct 09, 2024, 09:44 AM IST
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Vastu Tips: वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर हमारे स्वास्थ्य पर. कभी-कभी लोग दवा और परहेज करने के बावजूद बीमारियों से मुक्त नहीं हो पाते. शास्त्रों में कहा गया है कि सबसे पहला सुख निरोगी काया है, यानी शरीर को स्वस्थ रखना सबसे महत्वपूर्ण है. अगर हमारा शरीर स्वस्थ है, तो हम अपने दैनिक काम को अच्छे से कर सकते हैं.

घर की बनावट का प्रभाव
आचार्य मदन मोहन के अनुसार घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में अगर टॉयलेट या सीढ़ियां हैं, तो यह घर की मुख्य महिला और अन्य सदस्यों के लिए मानसिक तनाव और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है.

घर की दिशाओं का महत्व
घर की उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा का बंद होना और दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा का खुला होना एक गंभीर वास्तु दोष है. ऐसे में घर में बीमारी और खर्च बढ़ जाते हैं.

रसोई में सावधानी
किचन में खाना बनाते समय, घर की महिला का मुंह दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए. ऐसा करने पर उसे कमर दर्द, सर्वाइकल और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

सोने की दिशा
सोने के लिए पूर्व दिशा में सिर और पश्चिम दिशा में पैर रखना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. सूरज पूर्व दिशा से निकलता है, इसलिए यह दिशा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. दूसरी ओर, उत्तर दिशा की तरफ सिर करके सोने से माइग्रेन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

शौचालय का स्थान
ईशान कोण में टॉयलेट होना एक बड़ा वास्तु दोष है. यह घर की महिलाओं को बीमार बनाता है और संतान सुख में कमी कर सकता है.

अनिद्रा और अन्य बीमारियां
अनिद्रा एक गंभीर समस्या है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशा का हल्का होना और दक्षिण-पश्चिम दिशा का भारी होना अच्छा माना गया है. अगर पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो और पश्चिम दिशा खाली हो, तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है.

चक्कर, बेचैनी और सिरदर्द
यदि गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में सोते हैं, तो उन्हें अनिद्रा, बेचैनी, सिरदर्द और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं
दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या खुली जगह का होना हार्ट अटैक और लकवा जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है. रसोई में खाना बनाते समय अगर गृहणी का मुख दक्षिण दिशा की ओर है, तो यह त्वचा और हड्डियों की बीमारियों का कारण बन सकता है.

रंग और दीवारों का प्रभाव
दीवारों के रंग का भी स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है. काला या गहरा नीला रंग वायु रोग और गैस का कारण बन सकता है, जबकि नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है.

जोड़ों का दर्द
भवन की दीवारों में दरार या दाग-धब्बे न होने चाहिए, वरना वहां रहने वालों में जोड़ों का दर्द, गठिया और कमर दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. जी बिहार झारखंड किसी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अपनाने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना चाहिए.

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