पटना: "जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है." रामधारी सिंह दिनकर की इस पंक्ति को बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया. इस पंक्ति के पीछे उनका दर्द और कांग्रेस नेतृत्व के प्रति नाराजगी साफ झलकती है. सवाल उठता है कि आखिर आकाश कुमार सिंह यह संदेश किसे देना चाहते हैं? क्या यह कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला है? दरअसल, यह पोस्ट उनके पिता अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के तुरंत बाद आई, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई.
आकाश कुमार सिंह, जो 2019 लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार थे, चुनाव हार गए थे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने इस पोस्ट के जरिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उनका इशारा इस ओर भी है कि पार्टी अब गलत फैसले ले रही है और नेतृत्व विवेकहीन हो गया है. राजनीतिक विश्लेषक के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व कई राज्यों में अपनी स्थिति सुधारने में जुटा है और बिहार में बदलाव इसी रणनीति का हिस्सा है. पार्टी अब दलित वोटबैंक को दोबारा मजबूत करना चाहती है और स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है.
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इस बीच, आकाश कुमार सिंह के इस बयान पर कांग्रेस समर्थकों की भी प्रतिक्रियाएं आई हैं. कई लोगों ने इसे पार्टी के लिए अच्छा कदम बताया, जबकि कुछ ने आकाश कुमार सिंह पर स्वार्थ की राजनीति करने का आरोप लगाया. समर्थकों ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि अगर वे पार्टी के फैसलों को नहीं मानते तो इसका मतलब यह होगा कि वे केवल अपनी सत्ता बचाने के लिए पार्टी में बने हुए थे.क्या यह बिहार कांग्रेस में अंदरूनी बगावत का पहला संकेत है? क्या आकाश कुमार सिंह के सुर और कड़े होंगे? फिलहाल, उनके इस पोस्ट ने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में उथल-पुथल जरूर मचा दी है.
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