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Atal Bihari Vajpayee: 'मेरे तो नाम में ही बिहारी है...', बिहार से था अटल बिहार वाजपेयी का भावनात्मक रिश्ता

Atal Bihari Vajpayee Deat Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार को पिछड़ेपन के दलदल से निकालकर विकास के पथ पर लाने में अहम भूमिका निभाई है. एक रैली में वाजपेयी ने कहा था कि मैं कैसे बाहरी हो सकता हूं, मेरे तो नाम में ही बिहारी है. 

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अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी
K Raj Mishra|Updated: Aug 16, 2024, 01:50 PM IST
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Atal Bihari Vajpayee Deat Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज (16 अगस्त) को पुण्यतिथि मनाई जा रही है. इस मौके पर बिहार की राजधानी पटना के अटल पार्क में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया. जहां बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंत्री विजय चौधरी अशोक चौधरी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल सहित कई नेता मौजूद रहे. बिहार सरकार की तरफ से इस कार्यक्रम में घोषणा की गई कि इस श्रद्धांजलि समारोह को अब राजकीय समारोह के तौर पर मनाया जाएगा. बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, अटल जी के इस समारोह को राजकीय समारोह का दर्जा दिया गया है. अब प्रत्येक वर्ष इसे धूमधाम से मनाया जाएगा. 

बिहार के साथ अटल बिहारी वाजपेयी का संबंध राजनीतिक से कहीं अधिक भावनात्मक है. वाजपेयी ने बिहार को पिछड़ेपन के दलदल से निकालकर विकास के पथ पर लाने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने बिहार की मैथिली भाषा को भी संवैधानिक दर्जा देकर यहां के लोगों के दिल में हमेशा के लिए जगह बना ली. इतना ही नहीं वाजपेयी ने दो भागों में बंटे मिथिलांचल के लिए कोसी महासेतु का निर्माण कराकर इस रीजन का एकीकरण किया. साथ ही ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत बनी फोरलेन सड़क ने विकास के रास्ते भी खोल दिए.

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बीजेपी ने 90 के दशक में बिहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू किया था. वहीं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव उसे बाहरी पार्टी कहकर कटाक्ष करते थे. एक बार लालू यादव ने अपनी एक रैली में अटल बिहारी वाजपेयी पर हमला करते हुए कहा था कि उनका यहां क्या काम, वो बाहरी हैं. वाजपेयी जब बिहार पहुंचे तो अपने ही अंदाज में लालू यादव पर पलटवार किया. वाजपेयी ने कहा था कि मैं कैसे बाहरी हो सकता हूं, मेरे तो नाम में ही बिहारी है. वाजपेयी वैसे भी अपनी वाकपटुता के लिए जाने जाते थे.

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