Bihar Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले से ही बिहार कांग्रेस के नेता 70+ सीटों के लिए आवाज बुलंद कर रहे थे. अब जब यह दावे किए जा रहे हैं कि कांग्रेस ने थोड़ा दम क्या लगाया, आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) दिल्ली में हार गई तो देश की सबसे पुरानी पार्टी को लेकर क्षेत्रीय दलों का भयभीत होना स्वाभाविक है. बिहार की ही बात करते हैं, जहां राष्ट्रीय जनता दल के नेता कांग्रेस नेताओं के 70+ के दावे का पहले मजाक उड़ाते थे. अब उन्हें कांग्रेस को लेकर अपनी जुबान को कंट्रोल में रखना होगा. राजद नेता पहले अंदर ही अंदर कांग्रेस को 50 से कम सीटें देने की बात करते थे, लेकिन अब उनके लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा. कांग्रेस से मोलभाव करने में खुद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के होश फाख्ता हो सकते हैं. देखने वाली बात यह होगी कि राजद के दोनों धुरंधर टीम राहुल से कैसे डील करती है.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को भले ही तीसरी बार 0 सीटें आई हैं, लेकिन उसके हौंसले सातवें आसमान पर हैं. वह अपने नाम के आगे आम आदमी पार्टी को हराने की उपलब्धि चिपकाने की कोशिश में है. यह कांग्रेस के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि दिल्ली चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को एक तरह से इग्नोर कर दिया था और आम आदमी पार्टी को नैतिक समर्थन दे दिया था. बात करें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे आदि की तो इनलोगों ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद की थी. अखिलेश यादव ने तो बाकायदा खुद आम आदमी पार्टी के पक्ष में रोड शो किया था. अब चुनाव के बाद इन दलों को सांप सूंघ गया है. मंथन चल रहा है कि कैसे कांग्रेस से आगे डील की जाए.
इस बीच बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने ऐलान कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने जोर देते हुए आगे कहा कि इस मांग से कम में कोई समझौता नहीं होने जा रहा है. जाहिर है अगर राजद इस पर राजी होती है तो ठीक अन्यथा कांग्रेस गठबंधन तोड़ने के के बारे में सोच सकती है. कांग्रेस की ओर से यह भी आवाज बुलंद हो रही है कि महागठबंधन के जीतने की स्थिति में 2 डिप्टी सीएम उसकी ओर से होंगे, जिसमें एक उच्च जाति से तो एक मुसलमान समुदाय से हो सकता है. कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा मानते हैं कि कांग्रेस के बिना कोई भी विपक्षी गठबंधन सफल नहीं हो सकता.
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हालांकि दिल्ली चुनावों के बाद कांग्रेस नेताओं के बयान पर जब राजद नेता तेजस्वी यादव से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा, सीटों को लेकर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है. कौन क्या बोलता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. आपलोग जानते हैं कांग्रेस में फैसले कौन लेता है, उस पर फोकस करें. बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया था. उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 19 पर जीत हासिल की थी. यही हाल लोकसभा चुनाव में राजद का हुआ था. लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 23 सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव लड़ा था और केवल 4 पर जीत हासिल की थी. लोकसभा चुनाव में 9 सीटों पर लड़कर कांग्रेस 3 पर जीती थी. इस कारण कांग्रेस का स्ट्राइक रेट बेहतर है और वह इसी को आधार बनाकर अधिक से अधिक सीटें खुद के लिए मांग रही है.
दिल्ली चुनाव के बाद कांग्रेस ने एक तरह से क्षेत्रीय दलों को संदेश दिया है कि वह किसी के सामने अब झुकने और गिड़गिड़ाने की हालत में नहीं आने वाली है और फ्रंटफुट पर आकर बैटिंग करने वाली है. चाहे किसी दल से गठबंधन रहे या न रहे. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को बौना दिखाने की कोशिश की और आज वह खुद बौनी नजर आ रही है. यूपी में सपा, बिहार में राजद, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, पश्चिम बंगाल में वाम दल, महाराष्ट्र में शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और शरद पवार की एनसीपी को आज कांग्रेस का यह संदेश स्पष्ट हो गया होगा.
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इस साल चूंकि बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो सीटों पर तालमेल करने को लेकर लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर दबाव बढ़ गया होगा. यह देखना होगा कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव कांग्रेस को कितनी सीटें देते हैं. अगर कांग्रेस 70 सीटों की मांग पर अड़ी रहती है तो और राजद उसे इतनी सीटें देने की हिम्मत नहीं कर पाता तो बहुत संभव है कि बिहार में राजद और कांग्रेस का वर्षों पुराना गठबंधन टूट जाए. अगर ऐसा होता है तो यह लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है.