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Bihar Congress: बिहार कांग्रेस में KKR की तिकड़ी, अब लालू यादव और तेजस्वी क्या करेंगे?

Bihar Congress Politics: कांग्रेस पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह दलित नेता राजेश कुमार को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. अखिलेश प्रसाद को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का नजदीकी बताया जाता है, जबकि पार्टी आलाकमान अब लालू परिवार की छत्रछाया से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है.

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बिहार कांग्रेस
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K Raj Mishra|Updated: Mar 19, 2025, 07:49 AM IST
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Bihar Congress: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार (18 मार्च) को प्रदेश इकाई में बड़ा बदलाव कर दिया. चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने बिहार में पार्टी की कमान दलित समुदाय के प्रभावशाली नेता और कुटुंबा सीट से विधायक राजेश कुमार को सौंप दी. उन्हें अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार समुदाय से संबंध रखते हैं, जबकि अब पार्टी ने दलित कार्ड खेल दिया है. राजेश कुमार को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है जब बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. पार्टी आलाकमान के इस फैसले को दलित वोट बैंक साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

बता दें कि 90 के दशक के बाद से बिहार में कांग्रेस पार्टी हमेशा राजद के पीछे चली है. पार्टी की हालत इतनी बदतर हो चुकी थी कि लालू यादव के इशारों पर ही काम करना पड़ता था. लेकिन अब कांग्रेस आलाकमान इस रवायत को बदलना चाहता है. कांग्रेस नेतृत्व के फैसले बता रहे हैं कि वह अब लालू यादव की उंगली पर नहीं नाचने वाले हैं. इसकी शुरुआत उस वक्त हो गई थी, पार्टी ने बिहार का प्रभारी बदला था. लालू खेमे के मोहन प्रकाश को हटाकर कर्नाटक के नेता कृष्णा अल्लावरू को बिहार का प्रभारी बनाकर भेजा गया. कृष्णा अल्लावरु की ताजपोशी में 2 महीने से ज्यादा वक्त बीत गया है. इस दौरान कृष्णा कई बार बिहार आए, लेकिन एक बार भी लालू के दरबार में हाजिरी लगाने नहीं गए.

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कृष्णा अल्लावरु के प्रभारी बनते ही युवा नेता कन्हैया कुमार को भी बिहार में एक्टिव कर दिया गया. इससे प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को तकलीफ हुई. अखिलेश प्रसाद ने खुलकर तो जाहिर नहीं किया, लेकिन अंदरखाने में इसका विरोध जरूर किया. पार्टी दो खेमो में बंटती नजर आ रही थी. अंतर्कलह से चुनावों में नुकसान या राजद के साथ सीट शेयरिंग में झुकने से पहले ही प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया गया है. अब देखना ये होगा कि लालू यादव कैसे बिहार कांग्रेस के KKR यानी कृष्णा, कन्हैया और राजेश से डील करते हैं. राजद अध्यक्ष और तेजस्वी यादव के लिए अब अपनी शर्तें मनवाना आसान नहीं होने वाला.

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