Bihar Politics: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल गुरुवार (03 अप्रैल) को राज्यसभा से भी पास हो गया. इस बिल को समर्थन देने के बाद से जेडीयू में काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. पार्टी में नेताओं का एक धड़ा वक्फ बिल का समर्थन किए जाने से नाराज हो गया है और पार्टी में इस्तीफे का दौर शुरू हो गया. अब तक 3 नेताओं ने सीएम नीतीश कुमार का साथ छोड़ते हुए जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है. जिन नेताओं ने जेडीयू छोड़ी है, उनमें मोहम्मद तबरेज़ सिद्दीकी अलीग, नवाज मलिक और एम राजू के नाम शामिल हैं. इन तीनों नेताओं ने सीएम नीतीश की सेक्युलर छवि पर निशाना साधा है. वहीं कुछ अन्य नेताओं के तेवर भी बागियों वाले नजर आ रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये लोग भी जल्दी ही जेडीयू से रिश्ता तोड़ लेंगे. पार्टी नेताओं की ओर से ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि जैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुसलमानों के साथ बहुत बड़ा धोखा कर दिया है और अब प्रदेश का मुसलमान जेडीयू को वोट नहीं करेगा. जेडीयू में मची भगदड़ का चुनाव पर कितना और क्या असर होगा? इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि बिहार में नीतीश कुमार को अभी तक मुस्लिमों का साथ मिलता भी था या नहीं?
बता दें कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू यादव के बीच ही सत्ता का संघर्ष देखने को मिलता है. लालू यादव अपने 'माय' समीकरण यानी मुसलमान-यादव वोटबैंक की दम पर ही राजनीति करते हैं. ऐसा भी नहीं है कि नीतीश कुमार को मुसलमानों का बिल्कुल साथ नहीं मिला. प्रदेश के पसमांदा मुसलमानों का एक बड़ा वोटबैंक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को वोट करता रहा है. हालांकि, बीजेपी के साथ होने के कारण इसमें हर चुनाव कमी आई है. पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों ने एकजुट होकर राजद को वोट किया था, यही वजह है कि जेडीयू के सिर्फ 43 विधायक जीते थे और वह तीसरे नंबर पर खिसक गई थी.
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इस चुनाव में 19 मुस्लिम प्रत्याशी जीते थे. जिनमें से आरजेडी के टिकट पर सबसे ज्यादा 08 मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. दूसरे नंबर पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से 05 फिर कांग्रेस से 04 मुस्लिम नेता विधायक बने थे. भाकपा-माले से भी एक मुसलमान विधायक बना था. इस चुनाव में जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन इनमें से एक भी नहीं जीता था. इस चुनाव में आरजेडी ने सबसे ज्यादा 17 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें से 8 जीतने में सफल हुए थे. मतलब साफ है कि बिहार के मुसलमान 2020 में ही नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके थे. ऐसे में आज जेडीयू के तमाम मुस्लिम नेता किस बात के लिए नीतीश कुमार को चेतावनी देने में जुटे हैं.
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वक्फ बिल को लेकर आगामी विधानसभा चुनाव में जेडीयू को कुछ ज्यादा नुकसान होता हुआ नहीं दिख रहा है. दरअसल, विपक्ष में मुस्लिम वोटबैंक के तीन दावेदार हैं. इनमें सबसे बड़े दावेदार के रूप में राजद रहेगी. इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और प्रशांत किशोर की जन सुराज भी अपनी हिस्सेदारी चाहेंगे. सियासी जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार के साथ जो मुस्लिम वोटर्स जुड़े हैं, वो उन्हें ही वोट करेंगे और बाकी मुस्लिम वोट बंटने से विपक्ष को बहुत फायदा नहीं होने वाला है. दूसरी ओर अगर मुसलमान एकजुट होकर राजद के साथ जाएगा तो हिंदू वोटर भी एकजुट हो सकता है. जिससे एनडीए का पलड़ा भारी हो सकता है.
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