वक्फ संशोधन विधेयक वैसे तो संसद से पारित हो गया है, लेकिन यह अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए मुसीबत बन गया है. वक्फ संशोधन विधेयक को समर्थन देने के बहाने जेडीयू के कई कथित नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और सभी अपना त्यागपत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज रहे हैं. अब तक 5 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. शुरुआत डॉ. कासिम अंसारी से हुई, जो जेडीयू में न होने के बाद भी पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. इसके अलावा, मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शाहनवाज मलिक और एम राजू नैयर ने इस्तीफा दिया है. दूसरी ओर, पार्टी का कहना है कि जिनलोगों के इस्तीफा देने की बात सामने आ रही है, वो पार्टी में थे ही नहीं. इसको लेकर शुक्रवार को जेडीयू प्रदेश कार्यालय में एक बैठक भी हुई थी.
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बैठक खत्म होने के बाद मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, जेडीयू के सभी नेता तो छोड़कर चले ही गए. अब पार्टी में कहां कोई बचा है. लगता है जनता दल यूनाइटेड का मेंबरशिप का रिकॉर्ड मीडिया के पास ही है. हमारा अल्पसंख्यक बोर्ड है. अल्पसंख्यक बोर्ड के पदाधिकारी हैं. बहुत सारे पद पर पार्टी में लोग आज भी काम कर रहे हैं.
बिहार सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमा खान मजबूती से नीतीश कुमार के साथ टिके हुए हैं. जमा खान का कहना है कि अल्पसंख्यकों ने जिसे अपना नेता बनाया था, उनके द्वारा पहले कोई काम नहीं किया गया. उनका इशारा लालू प्रसाद यादव की ओर था. जमा खान बोले, मुसलमानों के हक में नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार में काम हुए हैं. कब्रिस्तान, मदरसा, मदरसा शिक्षकों के वेतन वृद्धि आदि, सभी क्षेत्रों में नीतीश सरकार ने काम किया है.
जदयू में आपसी फूट पर जमा खान बोले, पार्टियों में आना-जाना लगा रहता है. सबको मिलकर चलना है. मैं जात-पात की राजनीति नहीं करता. यहां पर जो भी विकास का कार्य दिखाई दे रहा है, वह हमारे नेता नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में हुआ है. 2005 से पहले क्या हालात थे, आपको पता है. सड़क-बिजली की हालत क्या थी, किसी से छुपा नहीं है. 2005 से पहले दंगे होते थे, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में ना तो दंगा हुआ और न ही सौहार्द बिगड़ा है. बिहार विकास के नाम पर इंडिया में नंबर वन पर है.
जेडीयू में जिस डॉ. कासिम अंसारी ने इस्तीफा प्रकरण की शुरुआत की, वे जेडीयू में ही नहीं हैं. जेडीयू की पूर्वी चंपारण की जिलाध्यक्ष मंजू देवी और ढाका प्रखंड अध्यक्ष नेहाल अख्तर का साफ तौर पर कहना है कि डॉ. कासिम अंसारी पार्टी सदस्य नहीं हैं. नेहाल अख्तर ने एक तस्वीर साझा किया, जिसमें वे कांग्रेस नेताओं संग दिख रहे हैं. इन दोनों नेताओं ने डॉ. कासिम अंसारी से जदयू की सदस्यता से जुड़े प्रमाण पेश करने की चुनौती भी दी.
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बताया जा रहा है कि डॉ. कासिम अंसारी का यह कथित इस्तीफा केवल चर्चा में आने के लिए एक हथकंडा भर था. जेडीयू के नेताओं का कहना है, अगर वे पार्टी में थे और छोड़ना चाहते थे तो उन्हें अपना इस्तीफा जिलाध्यक्ष को देना था, न कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को.
उधर, जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने बताया कि जिन मुस्लिम नेताओं ने वक्फ बिल के विरोध में जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा देने का फैसला किया है, उनके बारे में वे खुद कुछ नहीं जानते.