बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए अच्छी खबर आई है. अब आप सोच रहे होंगे कि वो कौन सी खबर है जिससे लालू परिवार खुश हो जाएगा? दरअसल, तेजस्वी यादव को लेकर राजनीतिक पंडितों ने बड़ी भविष्यवाणी की है. उनके मुताबिक, जब से पार्टी ने आधिकारिक तौर पर नेतृत्व की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को सौंपी है, तब से तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और भी बढ़ गई है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार का विधानसभा चुनाव सीएम नीतीश कुमार के लिए चुनौतीपूर्ण होने वाला है.
माना जा रहा है कि 18 जनवरी 2025 को राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर तेजस्वी यादव को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बराबर अधिकार दिए गए. इस बैठक में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत कई वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक और एमएलसी मौजूद थे. इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश साफ हो गया कि अब तेजस्वी को पार्टी के लिए फैसले लेने का पूरा अधिकार है. जिसे देखकर कयास लगाए जा रहे हैं कि तेजस्वी यादव के लिए उनके समर्थकों का जनसमर्थन उमड़ पड़ा है.
बिहार चुनाव से पहले नीतीश कुमार की लोकप्रियता घटी
बिहार में आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरम है. हाल ही में एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई है, जिससे संकेत मिलता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है. 41% जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है, जबकि सिर्फ 18% लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार फिर से सत्ता में आएं.
बेरोजगारी और महंगाई मुख्य मुद्दे
इस चुनाव में बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़े चुनावी मुद्दे बने हुए हैं. जनता इन्हीं मुद्दों के आधार पर वोट देने की तैयारी कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नीतीश कुमार के प्रति जनता की नाराजगी बढ़ी है और इसका सीधा फायदा तेजस्वी यादव को मिल सकता है. हालांकि, बिहार की राजनीति जातिगत समीकरणों से भी प्रभावित होती है, इसलिए सिर्फ सर्वे के आंकड़ों के आधार पर किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
इस सर्वे को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अरुण कुमार ने अलग राय रखी है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी आई है, लेकिन सर्वे के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा, "अगर यह सर्वे यादव समुदाय में किया गया होता, तो तेजस्वी का प्रतिशत और अधिक होता." उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर लड़े जाते हैं.
अरुण कुमार के अनुसार, "तेजस्वी को अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह राजनीति करनी होगी. केवल 'A टू Z' की राजनीति की बात करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि हर वर्ग को अपने साथ जोड़ना होगा." उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी के पास कम समय है और उन्हें खुद को साबित करना होगा.
तेजस्वी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा यह चुनाव
तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है. RJD कार्यकर्ताओं में जोश तो है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव अपने पिता की तरह जनता को अपने पक्ष में कर पाते हैं या नहीं. आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
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