Bihar Caste Census: जयप्रकाश नारायण के जमाने में यानी साल 1974 ई. में बिहार ने देश को राजनीतिक दिशा दिखाई थी. इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ बिहार की धरती से जयप्रकाश नारायण ने पूरे देशवासियों को झकझोर कर रख दिया था. तब बिहार से एक लहर कांग्रेस के खिलाफ चली थी और उसके बाद आज तक कांग्रेस वापस पुरानी स्थिति में नहीं लौट पाई. एक बार फिर बिहार ने देश को राजनीतिक दिशा दिखाई है. बिहार सरकार की तर्ज पर मोदी सरकार ने पूरे देश में जातीय जनगणना कराने को हरी झंडी दे दी है. 2023 में बिहार की महागठबंधन की सरकार ने राज्य में जातीय जनगणना कराया, जिसमें सभी पार्टियों की हामी थी. बिहार के बाद देश के अलग अलग हिस्सों से जातीय जनगणना कराए जाने की मांग की जाने लगी थी. राहुल गांधी ने तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में इसको प्रमुख मुद्दा बनाया था. राजद नेता तेजस्वी यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी जातीय जनगणना को अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बनाया था और केंद्र में इंडिया ब्लॉक की सरकार बनने पर इसे लागू करने का भी वादा किया था.
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केंद्रीय मंत्री आश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है. जातिगत जनगणना मूल जनगणना में ही शामिल होगी. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि जनगणना कब से शुरू होगी. माना जा रहा है कि अगले साल यानी 2026 की शुरुआत में सरकार इस बारे में कोई फैसला ले सकती है.
तकरीबन दो साल पहले 7 जनवरी, 2023 को बिहार में जातीय जनगणना की प्रक्रिया शुरू हुई और 2 अक्टूबर, 2023 को इसका फाइनल प्रकाशन हुआ था. बिहार सरकार के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार ने रिपोर्ट जारी करते हुए जानकारी दी थी कि यहां की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. उन्होंने यह भी बताया था कि राज्य में किस जाति समूह की कितनी आबादी निवास करती है.
सामाजिक रूप से जातीय जनगणना
अति पिछड़ा वर्ग: 36.01 प्रतिशत
पिछड़ा वर्ग: 27.12 प्रतिशत
अनुसूचित जाति: 19.65 प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति: 1.68 प्रतिशत
सामान्य वर्ग: 15.52 प्रतिशत
धार्मिक रूप से जातीय जनगणना
हिन्दू: 81.99%
मुस्लिम: 17.70%
ईसाई: .05%
सिख: .01%
बौद्ध:.08%
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कौन सी जाति कितनी?
यादव: 14.26 %
मोची,रविदास: 5.2%
कुशवाहा: 4.27
ब्राह्मण: 3.67%
राजपूत: 3.45%
मुसहर: 3.08%
भूमिहार: 2.89%
कुरमी: 2.87%
तेली: 2.81%
मल्लाह: 2.60%
बढ़ई: 1.4%
कुम्हार: 1.4%
सोनार-0.68%
कायस्थ: 0.60%
पासी: 0.9%
धोबी: 0.8%
जातिगत जनगणना पर क्या कहा था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, 'गांधी जयंती के शुभ मौके पर आज बिहार में कराई गई जातीय जनगणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं. इसमें लगी हुई टीम को बहुत बहुत बधाई. जातीय जनगणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था और सभी 9 दलों की सहमति से फैसला लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जातिगज जनगणना कराएगी. 2 जून, 2022 को इसे कैबिनेट से पास किया गया था. जातिगत जनगणना से न केवल जातियों के बारे में पता चला है, बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी मिली है. इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी.'
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राहुल गांधी ने बता दिया था फर्जी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के एनडीए में आ जाने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव जातिगत जनगणना का क्रेडिट खुद लेते रहे हैं, लेकिन उनके सामने दुविधा तब खड़ी हो गई, जब इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक अपने 3 बिहार दौरे में राहुल गांधी ने यहां की जातीय जनगणना को ही खारिज कर दिया. राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए पर बिहार की तरह नहीं, बल्कि तेलंगाना की तरह. उन्होंने कहा कि बिहार की जातीय जनगणना फर्जी है. इस पर राजद नेता और कांग्रेस नेता बगलें झांकते नजर आए. हालांकि जब राहुल गांधी ने जातीय जनगणना की आवाज बुलंद की तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी इसकी हिमायत की थी. उसके बाद से ही लगने लगा था कि मोदी सरकार जल्द ही इस पर कोई बड़ा फैसला ले सकती है.
एक दिन पहले जब सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मीटिंग के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पीएम आवास पहुंचे थे, तब सभी इसे पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति से जोड़कर देख रहे थे, लेकिन जब आश्विनी वैष्णव ने जातीय जनगणना को हरी झंडी की खबर सुनाई, जब मोहन भागवत के पीएम आवास जाने के उद्देश्य पर से पर्दा उठा.