Supreme Court On Bihar Voter List: बिहार में वोटर लिस्ट वेरीफिकेशन को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार, 10 जुलाई) इस मुद्दे पर अहम सुनवाई होने वाली है. चुनाव आयोग के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), योगेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और कुछ अन्य राजनीतिक दल भी शामिल हैं. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस प्रक्रिया से वोटरों की संख्या में हेरफेर किया जा रहा है. आज की सुनवाई इसलिए भी अहम है क्योंकि विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है. बिहार के नेता प्रतिपक्ष ने इस प्रकिया को 'वोटबंदी' का नाम दिया है. उनका आरोप है कि बीजेपी के दबाव में चुनाव आयोग यह काम कर रहा है.
बता दें कि चुनाव आयोग ने 24 जून को मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की घोषणा की थी. चुनाव आयोग की दलील है कि बिहार में 2003 के बाद से मतदाता सूची का कोई व्यापक पुनरीक्षण नहीं हुआ है. जिसके कारण कई गलतियां और अनियमितताएं देखने में आईं हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट में खामियां जैसे- डुप्लिकेट नाम, मृत व्यक्तियों के नाम, या अपात्र व्यक्तियों के नाम से चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और इससे चुनावों की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है. चुनाव आयोग को मिली शिकायतें और कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में यह दावा किया गया है कि बिहार के कई विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 8,000 से 10,000 फर्जी, डुप्लिकेट या मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं.
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इन सवालों के जवाब मिलेंगे?
1.- क्या यह फैसला संविधान का उल्लंघन करता है?
2.- इतने कम समय में कैसे पूरा होगा यह काम?
3.- चुनाव आयोग ने इसी समय यह निर्णय क्यों लिया?
4.- आधार कार्ड और पैन कार्ड को क्यों नहीं दी जा रही मान्यता?
5.- पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के वक्त ऐसा फैसला क्यों नहीं लिया गया?
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