पटना: Bihar News: बिहार की राजनीति में पार्टियों के अंदर जो चल रहा है. वह तो अलग ही विषय है लेकिन वहां महागठबंधन के दल और एनडीए के बीच जो कुछ हो रहा है उसका असर जरूर पूरे देश की राजनीति में देखने को मिल रहा है. नीतीश की पार्टी के अलग होने के बाद से भाजपा पूरे बिहार में अपना दमखम दिखाने की कोशिश में लगी हुई है. भाजपा की कोशिश है कि वह सबसे पहले जदयू के हिस्से की जमीन अपने पाले में करे और इसके बाद उसके निशाने पर राजद आए ताकि धीरे-धीरे वह बिहार की राजनीति में अकेले अपने दम पर कुछ करने की ताकत जुटा पाए. इसको लेकर भाजपा की तरफ से बिहार में मास्टर प्लान भी तैयार किया गया है.
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बिहार की सियासत में भाजपा एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक चलने वाली है जिसका सीधा नुकसान जेडीयू और राजद को होगा और भाजपा इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेगी. बता दें कि एक तरफ जहां कुछ दिन पहले केंद्र सरकारी की तरफ से दीघा सिक्स लेन पुल का तोहफा बिहार को दिया गया है. वहीं अब अयोध्या के लिए लव कुश रथ रवाना कर भाजपा एक साथ दो-दो मोर्चे पर नीतीश और राजद दोनों को कमजोर करने की कोशिश में लग गई है.
भाजपा का यह दोनों फैसला अभी चर्चा का विषय बना हुआ है. बता दें कि नीतीश कुमार का लव-कुश वोट बैंक चर्चा का विषय बिहार की राजनीति में पहले से रहा है. अब ऐसे में भाजपा ने लवकुश रथ का नाम रखकर अयोध्या के लिए रथ रवाना करने वाली है. रथ यात्रा नए साल की शुरुआत के दूसरे दिन 2 जनवरी को ही शुरू करने वाली है और उस दिन इस यात्रा की शुरुआत के साथ ही भाजपा लोकसभा चुनाव का बिगुल भी फूंकने वाली है.
वैसे भाजपा ने नीतीश के लवकुश वोट बैंक में सेंधमारी की पूरी कहानी तो पहले ही शुरू कर दी. जब भाजपा से अलग होकर जदयू राजद के साथ सरकार बनाने गई भाजपा ने इसकी तैयारी तभी कर ली थी. वहीं भाजपा ने इस वोट बैंक पर और पकड़ मजबूत बनाने के लिए सम्राट चौधरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. उसके बाद नीतीश का दामन छोड़ अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए में शामिल कर लिया गया. ऐसे में अब इस राथयात्रा के सहारे भाजपा नीतीश की रही सही लवकुश वोट बैंक वाली नौका को भी डुबाने की जुगत में लग गई है. बता दें कि भाजपा की यह रथ यात्रा राज्य के सभी जिलों से होते हुए अयोध्या तक पहुंचने वाली है.
वैसे बता दें कि इस रथ यात्रा के सारथी सम्राट चौधरी के बेहद करीबी और भाजपा के उपाध्यक्ष सरोज रंजन पटेल होंगे. ऐसे में इन दोनों ही तीरों का निशाना एक साथ साधकर भाजपा कैसे नीतीश और लालू को एक साथ झटका देने की जुगत में है यह तो लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद पता चल पाएगा कि इसमं सफलता मिली है या नहीं.