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'अब मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा की क्या औकात?', तेजस्वी के MLA के जातिवादी जहर से बिहार में मचा बवाल

Bihar Politics: राजद विधायक मुन्ना यादव ने हालिया इंटरव्यू में कुछ ऊंची जातियों पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि जातीय सर्वे के बाद इन जातियों की राजनीतिक अहमियत खत्म हो चुकी है और अब केवल बहुजन समाज के नेता ही सत्ता में आएंगे.

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RJD विधायक मुन्ना यादव के जातीय बयान से बिहार में बवाल
RJD विधायक मुन्ना यादव के जातीय बयान से बिहार में बवाल
Saurabh Jha|Updated: Jul 19, 2025, 06:04 PM IST
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Munna Yadav Controversy: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट से पहले जातिगत राजनीति ने फिर जोर पकड़ लिया है. इस बार मामला उठा है राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मीनापुर से विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव के विवादित बयान को लेकर. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में उन्होंने कुछ खास जातियों को लेकर अपमानजनक बातें कह डाली हैं, जिससे राज्य की सियासत में हलचल मच गई है.

वायरल हो रहे इंटरव्यू में विधायक मुन्ना यादव कहते सुने गए कि अब "मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा जैसे लोगों की कोई राजनीतिक हैसियत नहीं रह गई है." उनका कहना था कि जातीय सर्वे के बाद इन वर्गों की वास्तविक स्थिति उजागर हो चुकी है और अब ये लोग केवल बैकफुट की राजनीति कर सकते हैं, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना अब इनके लिए नामुमकिन है.

उन्होंने दावा किया कि लालू प्रसाद यादव ने बिहार की राजनीति में ऐसी व्यवस्था बना दी है जिससे केवल बहुजन समाज के नेता ही सत्ता के शीर्ष तक पहुंच सकते हैं. उन्होंने सीधी भाषा में कहा कि अब कोई चाहे भी तो ऊंची जाति के नाम पर चुनाव नहीं जीत सकता. इस बयान को उन्होंने जातीय सर्वे के बाद का असर बताया.

मुन्ना यादव का कहना था कि अब राजनीति में बहुजन समाज का बोलबाला रहेगा. उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा कि अगर किसी में हिम्मत है तो मिश्रा, सिंह, झा, शर्मा जैसे कुछ लोगों को टिकट देकर चुनाव लड़ाए और देखे कि जनता क्या फैसला करती है.

इस बयान के बाद राजद एक बार फिर जातीय नफरत फैलाने के आरोपों से घिर गई है. विपक्षी दलों ने इसे भड़काऊ और समाज तोड़ने वाला बताया है. कुछ ही दिन पहले 'भूरा बाल साफ करो' जैसे पुराने नारे को फिर से सार्वजनिक मंच पर दोहराया गया था, जिससे भी विवाद हुआ था.

मुन्ना यादव को लालू परिवार का बेहद करीबी माना जाता है. खुद लालू यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी उनके लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं. क्षेत्र में उनकी छवि एक दबंग नेता की रही है. यह बयान उनके पुराने तेवरों की ही एक झलक माना जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे बयान चुनाव से पहले जातिगत ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं. हालांकि इससे सामाजिक समरसता को नुकसान पहुंचने का खतरा बना रहता है.

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