Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तेजस्वी यादव अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुटे हैं. वह इस बार हर हाल में नीतीश कुमार से सत्ता छीनना चाहते हैं, लेकिन नीतीश बाबू भी मंझे हुए खिलाड़ी हैं. चुनावी साल में नीतीश कुमार का हर दांव नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बोलती बंद करने वाला है. इस वक्त मुख्यमंत्री का पूरा फोकस तेजस्वी यादव को मुद्दा विहीन करना है. दरअसल, बिहार चुनाव को लेकर तेजस्वी यादव ने रोजगार को बड़ा मुद्दा बनाना चाहा. तेजस्वी अपनी 17 महीने की सरकार में दी गई नौकरियों का क्रेडिट लूटते हुए बिहार के युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा करके अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे.
रोजगार मुद्दे की हवा निकली
तेजस्वी के वादे में युवा फंसते उससे पहले ही नीतीश कुमार ने नौकरियों का पिटारा खोल दिया. 2020 में सरकार बनने के बाद अब तक 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी और 34 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने वादा किया है कि इस बार हम लोग 12 लाख सरकारी नौकरी और 38 लाख रोजगार देंगे. कुल मिलाकर बिहार में 50 लाख लोगों को नौकरी-रोजगार देंगे. उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार की सत्ता आई, तब बिहार की स्थिति बदली है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार बदला है. इस तरह से रोजगार के मुद्दे पर सरकार ने नेता प्रतिपक्ष की बोलती बंद कर दी.
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डोमिसाइल मुद्दा भी हाथ से गया
तेजस्वी ने 100 फीसदी डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया है. हालांकि, इस मामले में उनका दोहरा चरित्र देखने को मिलता है. बिहार में जब महागठबंधन की सरकार थी और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे, तब BPSC TRE-1 की शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को नौकरी बांटी गई थी. शिक्षक बहाली के नोटिफिकेशन में से डोमिसाइल उन्हीं के समय हटाया गया था. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीस कुमार ने तेजस्वी से यह मुद्दा भी छीन लिया है. अब बिहार में होने वाली भर्तियों में डोमिसाइल नीति लागू होगी. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ऐलान कर दिया है कि सरकारी स्कूलों में गैर शिक्षकीय 15000 पदों पर बहाली में डोमिसाइल नीति लागू होगी.
अब पेंशन पर भी बोलती बंद कर दी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में बिहार में बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवा पेंशन में तीन गुना बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है. इन्हें अभी तक 400 रुपये पेंशन मिल रही थी, अब इसे बढ़ाकर 1100 रुपये प्रति महीना कर दिया गया है. बढ़ी हुई पेंशन का लाभ अगले महीने यानी जुलाई 2025 से मिलने लगेगी. नीतीश सरकार के इस फैसले से प्रदेश के करीब 1 करोड़ 9 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलने का दावा किया जा रहा है. सियासी जानकारों के मुताबिक, चुनावी साल में यह नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक है और इसका असर चुनावों में देखने को जरूर मिलेगा. वहीं तेजस्वी यादव का कहना है कि पेंशन बढ़ोतरी हमारी नीति और हमारे विजन का हिस्सा है. अगर तेजस्वी की बात सही है तो नीतीश कुमार ने उनसे एक और बड़ा मुद्दा छीन लिया है.
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माई-बहिन योजना का भी तोड़ आएगा?
बिहार की महिला मतदाताओं को लुभाने को लेकर तेजस्वी यादव ने माई बहन योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का ऐलान किया है. महागठबंधन में ही क्रेडिट वॉर में कांग्रेस ने राजद से एक कदम आगे निकलते हुए इस योजना के लाभ के लिए महिलाओं को रजिस्टर्ड करने का काम भी शुरू कर दिया है और एक नंबर भी जारी किया है. उधर सियासी जानकारों के मुताबिक, सीएम नीतीश कुमार के निशाने पर अब तेजस्वी यादव की माई-बहिन मान योजना है. वैसे भी महिला वोटर्स ही गेमचेंजर होती हैं. बिहार में इस वोटबैंक पर नीतीश कुमार का कब्जा माना जाता है, लेकिन इसे बिखरने से रोकने के लिए सरकार की ओर से माई-बहिन मान योजना का तोड़ निकालना जरूरी होगा. महिलाएं क्या कर सकती हैं, ये सभी ने महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में देखा है.
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