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Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस की खोई जमीन वापस दिलाएंगे कन्हैया कुमार! क्या लालू-तेजस्वी को भी संदेश देने की कोशिश?

Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस पार्टी अपनी सियासी जमीन पाने के लिए कन्हैया कुमार को उतारने जा रही है. हालांकि, लालू यादव इसके लिए कतई तैयार नहीं थे. अब सवाल ये है कि राजद अध्यक्ष की बात को इग्नोर करके कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है.

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बिहार में कांग्रेस का बड़ा दांव
बिहार में कांग्रेस का बड़ा दांव
K Raj Mishra|Updated: Mar 11, 2025, 02:17 PM IST
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Bihar Politics: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रदेश में मुख्य मुकाबला नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच होना है. हालांकि, यह अलग बात है कि दोनों नेताओं के साथ अपना-अपना गठबंधन है. एनडीए गठबंधन में बीजेपी और जेडीयू के साथ लोजपा-रामविलास और रालोमो हैं, तो वहीं महागठंधन में राजद और कांग्रेस के अलावा वाम दल और वीआईपी भी साथ हैं. चुनावी साल में एनडीए जहां अपनी एकता दिखाने का कोई अवसर जाने नहीं देता, वहीं महागठबंधन के अंदर मतभेद देखने को मिल रहे हैं. बिहार में कांग्रेस अब ऐसा फैसला लेने जा रही है, जिससे महागठबंधन की सियासत में हलचल होने की संभावना है.

दरअसल, बिहार में कांग्रेस पार्टी अपनी सियासी जमीन पाने के लिए कन्हैया कुमार को उतारने जा रही है. इसी कड़ी में राजधानी पटना में जगह-जगह पर कन्हैया कुमार के पोस्टर लगाए हैं. इन पोस्टरों में कन्हैया कुमार को बिहार की उम्मीद बताया गया है. इन पोस्टरों को लेकर बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौर ने कहा कि कन्हैया कुमार, बिहार के ही नेता हैं. वो पहले भी बिहार आए हैं और आगे भी बिहार आते रहेंगे. वे पार्टी के लिए काम करते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हर पार्टी यही चाहती है कि उसका संगठन सबसे मजबूत हो.

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सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेताओं का एक धड़ा अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह कन्हैया कुमार को बिहार कंग्रेस की बागडोर सौंपने की वकालत कर रहा है. कन्हैया कुमार भी बिहार में एक्टिव हो चुके हैं. प्रदेश की जनता से जुड़ने के लिए वे आगामी 16 मार्च से 'नौकरी दो यात्रा' निकालने वाले हैं. बिहार की राजनीति की दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि लालू यादव अबतक बिहार में कन्हैया कुमार की सक्रियता नहीं चाहते थे. सियासी जानकारों का कहना है कि लालू यादव चाहते हैं कि महागठबंधन की तरफ से युवाओं का एक ही नेता हो, उनका बेटा तेजस्वी यादव. अब कांग्रेस के इस फैसले से महागठबंधन में घमासान देखने को मिल सकता है.

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