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UCC: असम में मुस्लिम मैरिज एक्ट रद्द होने पर गिरिराज सिंह खुश, बोले- हिंदू-मुसलमान एक कानून से चलेंगे तो...

Giriraj Singh News: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर हिंदू के लिए अलग कानून मुसलमान के लिए अलग कानून होगा तो देश नहीं चलेगा. मैं असम की सरकार को धन्यवाद देता हूं इसमें किसी मुसलमान या हिंदू को दुखी नहीं होना चाहिए.

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गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह
K Raj Mishra|Updated: Feb 25, 2024, 07:00 AM IST
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Giriraj Singh News: असम की बीजेपी सरकार ने समान नागरिक कानून (UCC) की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है. हिमंता सरकार ने मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में शुक्रवार (23 फरवरी) को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. राज्य में अब सभी शादियां और तलाक स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होंगी. असम के मंत्री जयंत मल्लाबारूआ ने कहा कि हम जल्द ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने जा रहे हैं. असम सरकार के इस फैसले का केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने स्वागत किया है. गिरिराज सिंह ने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कानून संभव नहीं होगा. 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर सभी लोग अलग-अलग कानून से चलने लगें तो देश नहीं चल पाएगा. उन्होंने कहा कि हिंदू, मुसलमान एक कानून से चलेंगे तो समाज में एक अच्छा माहौल बनेगा. अगर हिंदू के लिए अलग कानून मुसलमान के लिए अलग कानून होगा तो देश नहीं चलेगा. मैं असम की सरकार को धन्यवाद देता हूं इसमें किसी मुसलमान या हिंदू को दुखी नहीं होना चाहिए. बिना नाम लिए हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए गिरिराज ने कहा कि मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दूंगा, उन्होंने कई लोगों को जनेऊ पहनवा दिया, त्रिपुंड लगवा दिया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन वह नहीं आए. आगर वह आ जाते तो अच्छा होता. अब वह राम यात्रा भी निकाल रहे हैं अयोध्या का भी दर्शन कर रहे हैं.

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बता दें कि असम सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए मंत्री जयंत मल्लाबरुआ ने मीडिया को बताया था कि अब मुस्लिम विवाह और डिवोर्स से जुड़े सभी मामलों का स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत सुलझाए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि हम समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहे हैं. असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को निरस्त कर दिया गया है. अब इस एक्ट के तहत कोई भी मुस्लिम विवाह या तलाक रजिस्टर नहीं किया जाएगा. मल्लाबरुआ ने कहा था कि हमने इस एक्ट के तहत कई कम उम्र के विवाह भी देखे हैं. हमारा मानना है कि यह बाल विवाह को खत्म करने की दिशा में भी एक कदम है, जिसमें 21 साल से कम उम्र के पुरुषों और 18 साल से कम उम्र की महिलाओं की शादी होती है.

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