Lalu Yadav Birthday Special: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव आज यानी 11 जून को अपना 78वां जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे हैं. RJD इस दिन को सद्भावना दिवस के रूप में मना रही है. राजद कार्यकर्ता आज पूरे बिहार में गरीबों को खाना खिला रहे हैं, उन्हें कपड़े बांट रहे हैं. गरीब बच्चों को कॉपी-किताबें बांटी जा रही हैं. बता दें कि 11 जून 1947 को गोपालगंज में जन्मे लालू प्रसाद यादव ने उम्र का लम्बा पड़ाव देखा है. इस दौरान उन्होंने राजनीति के उस मुकाम को हासिल किया जो किसी भी नेता का सपना होता है. लालू यादव ने छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी और जेपी आंदोलन से अपनी पहचान बनाई. 1977 में तब के सबसे कम उम्र के सांसद चुने गए. फिर 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद फिर केंद्रीय मंत्री भी बने.
लालू यादव ने गरीबों, पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. उनकी छवि एक जननायक के रूप में बनी. उन्होंने अपने कार्यकाल में पिछड़ों को न केवल बोलने का अधिकार दिया बल्कि सामाजिक रूप से मुख्य धारा में जोड़ने का काम किया. हालांकि, 1996 में चारा घोटाला के आरोपों के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. जेल जाने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया था. लालू ने दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए काम तो बहुत किया, लेकिन वे सारे काम उनके भ्रष्टाचार के आगे बौने साबित हो गए. चारा घोटाले में उन्हें लालू यादव ठहराया गया और सजा सुनाई जा चुकी है. वह अभी भी जमानत पर जेल से बाहर हैं.
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लालू यादव के जीवन से जुड़ा एक दिलचस्प है. एक बार लालू यादव एक रैली में कुर्ता के ऊपर बनियान पहन कर पहुंच गए थे. उन्हें देखकर सभी लोग हंसने लगे. रैली को संबोधित करते हुए लालू यादव ने कहा था कि कुर्ता जमींदारों और सामंती लोग पहनते हैं. गरीब, दलित, पिछड़ा तो बेचारा गंजी में ही गुजारा करता है. कुर्ता हमेशा गंजी को नीचे दबाकर रखता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. ऐसा पहली बार नहीं था जब लालू यादव के भाषण पर जनता की आंखों में आंसू आ गए हों. राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल जब बना था तो कुछ समय के लिए पार्टी का चुनाव चिह्न कप प्लेट मिला था. बिहार विधानसभा उपचुनाव में रामकृपाल यादव का प्रचार करते हुए लालू यादव ने कहा था कि गरीबों और मजदूरों के लिए जमींदारों और सामंती लोगों के घर में चाय के लिए टूटी-फूटी या जिसका उपयोग नहीं होता है वैसे कप में उनको चाय दिया जाता है. लेकिन जब लालू प्रसाद का शासन आया तो आप अब उन्हीं सामंती सोच के लोगों के सामने कब और प्लेट में चाय बैठकर पीते हैं तो इसका विरोध करने वाला कोई नहीं है.