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प्रशांत किशोर का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला, अनशन तोड़ने के बाद शुरू किया सत्याग्रह

Bihar Politics: प्रशांत किशोर ने कहा 29 दिसंबर, 2024 की घटना का जिक्र करते हुए कहा, गांधी मैदान में छात्र मेरे भरोसे पर जमा हुए थे पर सरकार और पुलिस प्रशान ने लाठीचार्ज करके उस भरोसे को खत्म करने का काम किया. 

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प्रशांत किशोर का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला
प्रशांत किशोर का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला
Sunil MIshra|Updated: Jan 16, 2025, 07:01 PM IST
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Bihar Politics: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को 14वें दिन आमरण अनशन को खत्म कर दिया. अनशन खत्म करने से पहले प्रशांत किशोर ने गंगा नदी में डुबकी लगाई. इसके बाद हवन किया और फिर मंच पर पहुंचे. छात्रों ने पीके को पहले पानी पिलाया, फल खिलाया और फिर जूस भी पिलाया. इसके बाद प्रशांत किशोर ने हुंकार भरते हुए नीतीश कुमार की सरकार पर हमला बोला. प्रशांत किशोर ने कहा, ये कोई रैली या प्रदर्शन नहीं है. पिछले 14 दिनों से छात्रों के संघर्ष के समर्थन में जनसुराज परिवार की ओर से हमने एक कोशिश की है. 29 दिसंबर, 2023 को मेरे भरोसे पर छात्र जमा हुए थे. हमने कहा था, पुलिस अभ्यर्थियों पर लाठी नहीं चलाएगी, लेकिन प्रशासन ने उस भरोसे को तोड़ दिया और बच्चों पर लाठीचार्ज हुआ. 

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पीके ने कहा, 2 जनवरी, 2024 से मैंने आमरण अनशन शुरू किया. राज्यपाल और मुख्य सचिव भी बच्चों से मिले लेकिन सरकार की ओर से इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. आज गुरुवार को पटना हाई कोर्ट में पूरे प्रकरण पर सुनवाई शुरू हुई है. कुछ ही देर में कोर्ट का फैसला भी आ जाएगा. विश्वास है कि छात्रों को कोर्ट से न्याय मिलेगा. आमरण अनशन के दौरान पांचवें छठे दिन गांधी मैदान में जो कुछ भी हुआ, सबके सामने है. 

उन्होंने कहा, 4 से 5 दिन सोने और समझने के बाद हमने तय किया है कि सिर्फ अब छात्रों की लड़ाई लड़ने से बात नहीं बनेगी. बिहार में गांधीजी के बताए रास्ते को लेकर आगे चलने की जरूरत है. इसलिए आज से यहां से जनसुराज के साथियों और छात्र मित्रों के साथ हम सत्याग्रह शुरू कर रहे हैं. गांधी मैदान सेतु से तो पुलिस ने उठा दिया लेकिन आश्रम में जो व्यवस्था हुई है, यहीं पर हम सारा कार्यक्रम चलाएंगे. बिहार का हर वह व्यक्ति जो व्यवस्था से दुखी है और पीड़ित है, उन सारे लोगों के लिए यह आश्रम आवाज बने. इस संकल्प के साथ इस आश्रम का नाम बिहार सत्याग्रह आश्रम दिया है, ताकि समाज के हर उस वर्ग जिसके साथ व्यवस्था ने गलती की है, वह यहां आ सके. 

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पीके ने कहा, बिना डरे लोग यहां से बोलेंगे, कोई आवाज उठाता है तो सरकार उसको उपद्रवी बताती है, लेकिन हमने सरकार से परमिशन लेकर इस आश्रम को बनाया है. इस आश्रम को शुरू करने के पीछे एक संकल्प है कि आने वाले 8 हफ्तों में बिहार से 1 लाख युवाओं को आश्रम में लाकर सत्याग्रह की ताकत और उसके द्वारा बिहार के समाज की चेतना को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे, ताकि वह जाए और बिहार के समाज को जगाए. आश्रम में गांधी जी की एक मूर्ति लगी है, जिसको लेकर पीके ने कहा, गांधीजी की मूर्ति के नीचे से हमें हटाया तो गंगाजी के गोद में आकर हम बैठ गए. गांधीजी की मूर्ति पीछे लगी हुई है. यह सरकार का चरित्र भी दिखाता है.

रिपोर्ट: निषेद

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