Supreme Court On Bihar Voter List: बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार, 10 जुलाई) सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही. कोर्ट ने याचिकार्ताओं से चुनाव आयोग के खिलाफ सबूत मांगे तो वहीं इलेक्शन कमीशन को भी फटकार लगा दी. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि यह साबित करके दिखाओ कि चुनाव आयोग सही नहीं कर रहा है. वहीं चुनावी साल में मतदाता सत्यापन को लेकर चुनाव आयोग से भी सवाल पूछे. आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में मान्यता न देने को लेकर कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई.
- जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉय माल्य बागची की पीठ इस पर सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ता की तरफ से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायणन दलील पेश कर रहे हैं. वहीं चुनाव आयोग के पक्ष से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल केस लड़ रहे हैं.
- वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि हम वोटर्स लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती दे रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि हम वोटर्स लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया के लिए बेहद कम समय दिया है जो पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं है.
- कपिल सिब्बल ने कहा कि आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत मानने से इनकार करना और अन्य दस्तावेजों की मांग करना हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अन्यायपूर्ण है. वहीं अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि चुनाव आयोग वही कर रहा हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए. यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है.
- जस्टिस सुधांश धूलिया ने कहा कि चुनाव आयोग तो वही कर रहा हैं जो संविधान में प्रावधान है, तो आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग वह कर रहा हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे (चुनाव आयोग) जो कर रहे हैं वह संविधान के तहत अनिवार्य है. आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं, जो संविधान के तहत अनिवार्य नहीं है.
- वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि नई प्रक्रिया के तहत 7.9 करोड़ लोगों को फिर से दस्तावेज देने होंगे और सिर्फ 11 दस्तावेज स्वीकार किए जा रहे हैं. वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी SIR प्रक्रिया का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि नई प्रक्रिया से लाखों लोगों के नाम हटने का खतरा है.
- अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि आयोग ने वोटर आईडी कार्ड को भी अमान्य कर दिया गया है. साल 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम है, उन्हें भी एक नया फॉर्म भरना होगा, अन्यथा उनका नाम सूची से हटा दिया जाएगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि पहले ये साबित कीजिए कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वह सही नहीं है.
- आधार कार्ड को मान्यता नहीं देने को लेकर कोर्ट ने नारजगी जताई और साफ कहा कि यह उनका काम नहीं है. यह काम गृह मंत्रालय का है. कोर्ट ने यह भी कहा कि आपको अगर यह करना है तो फिर इतनी देरी क्यों की. यह चुनाव से ठीक पहले नहीं होना चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और अपना पक्ष रखा है. देखते हैं कोर्ट में क्या होता है... सबसे बड़ा सवाल यह है कि आप आधार कार्ड, राशन कार्ड, जॉब कार्ड, मनरेगा कार्ड को क्यों खारिज कर रहे हैं? बिहार के लोगों के पास अभी भी दस्तावेज नहीं हैं. चुनाव आयोग कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं कर रहा है. आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं कर सकते और सब कुछ स्पष्ट क्यों नहीं कर सकते? वे भ्रम क्यों पैदा कर रहे हैं? चुनाव आयोग को क्या अहंकार है? ऐसा लगता है जैसे चुनाव आयोग भाजपा के पार्टी सेल की तरह काम कर रहा है.
- इस मामले में राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि निर्वाचन आयोग का 24 जून का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), अनुच्छेद 325 (जाति, धर्म और लिंग के आधार पर किसी को भी मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जा सकता) और अनुच्छेद 326 (18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका प्रत्येक भारतीय नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के योग्य है) का उल्लंघन करता है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए.
- बता दें कि मतदाता सत्यापन के विरोध में बुधवार (09 जुलाई) को इस मुद्दे पर बिहार में महागठबंधन ने बंद का आयोजन किया था, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद अब बिहार में वोट लूटने की कोशिश हो रही है.
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